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शृंगारमंजरी
ग. सत्तन दिनि ख. इति पाताल सुंदरि संबंध ग. इति श्री पाताल सुंदरी संबंध समाप्त; अ. राग सामेग; ख.ग. ढाल ४२, राग सामरी; घ. राग स मेरी. २०६०. नेांध-कडी २०६० थी २०६५. प्रत 'अ' अने 'घ'मां ग्रंथपाठने अनुसरती आठ पत्तियुक्त कडीओ छे परन्तु प्रत 'ख'मां आने थाने प्रथम ब कडोओ चार पक्तिवाळी तथा प्रत 'ग'मा बधी कडीओ चार पंक्तिवाळी (कडी क्रमांक २११५-२१२५) मळे छे. अत्रे सर्व प्रतोना पाठान्तरो ग्रंथपाठनी आठ पंक्ति ओवाळी कडीओने अनुलक्षीने नेांध्या छे. ] घ. रही तुहिइ दही. (प्रा 'ख' अने 'ग'मां कडी पूर्ण') ग. भोलो भोलव्यो. प्रत ख अने ग कडी पूर्ण २०६२. ग. मंत्री तेहबू कीजिह अ.ख.ग.घ. सचिव ग. राजन दिओ. अ आदेसडु, २०६४. ग. भषगने ग. कारिली, २०६५ अ.घ. स(र,खा ग. थाय अ. राग धन्यासी. ख. ढाल ४३, राग धन्यासी ग. हाल ४३, राग धन्यासी अ.ख ग. दूपद. घ. दु. २०६९. परनारि २०७६. ग, तजि झडति २०७७ ग देवअ टारडो २०८१. ग तो ते तिजसिं प्रांण. २०८२. अ शी०; ख. शीउ; ग. शीलवत्योवाच: घ. शी०उ. २०८३. अ.ख. तनु रवि देइ २०८४. अ. शी. उ. ग. शी. वाच; घ. शी. उ. अख.ग. जलनु न कर. अ. राग रामगिरि; ख. ढाल ४४, राग रामगिरि ग. ढाल ४४, राग रामगिर; घ. राग रामगीरी. २०८७. अख.ग. आरति अरति अनीद्र २०८८. ग. सुज्जन सी दाई २०९१. अहीं ग्रंथपाठ करता केटलीक वधारानी पंक्ति मळे छे. प्रत 'अ'भां आ कडीने स्थाने नीचे प्रमाणे कडी मळे छ:
शीलि सुर नर सेवा सारइ, मनवंछित सवि फलीइ,
दुगतिना दुख दोहिला नावइ, सुख संपति सवि मिलीइ. २०९१ ग्रत 'ख'मां आ कडी पछी वधारानी पंक्तिओ नीचे प्रमाणे मळे छे :
शीलिं सूर नर सेवा सारइ, मनवंछित सवि फलीइ ,
दुर्गतिनां दुख दोहिलां नावई, सुख संपति सवि मिली इ. २०९१ प्रत 'ग'मां आ पछी वधारानी पंक्तिओ आ प्रमाणे मळे छ :
शीलि सुर नर सेवा सारि, मनवंछित सवि फलाई
दुगंतिनां दुख दोहिलां नोवई, सुख संपति सवि मिलई, २१५३ प्रत 'घ'मां वधारानी पंक्तिओ आ प्रमाणे मळे छे .
शीलिं सुर नर सेवा सारइ, मनवंछित सवि फलीइ,
दुर्घतिनां दुख दोहिलां नावइ, सुख संपति सवि मिलइ. २१५४ ख.ग.घ. ज्यवंत पंडित ख.घ. शालि जे सुधा २०९२. ग. आवई शांन २०९३. अ.ख. अणसदहितु २०९४. क. दूतनइ २०९५. अ. राग भल्ली मल्हार; ख. ढाल ४५, राग भीली मल्हार; ग. ढाल १५, राग ४५, राग भील्ली मल्हार; घ. राग भीली मल्हार. २०९६. ग. च्यारि नि २०९७. अख. च्यारि; ग च्यारि २०९९. प्रत 'ग'मां आ कडी नथी. २१०१. ग. विवरिं पड्या २१०४. घ. सरो तिम अ. बिहू के पूराइ. ख. कंठे २१०५ ग गलि झमित्ति २१०६. क. बुजांमीइ; २१०७. ग आव्यो घ. मे आवीउ घ. वर तनु २१०८. अ. व सि वरसि महेला ग. पापी सांमल थाई अ. राग मेघ मल्हार; ख.ग. हाल ४६, राग मेघ मल्हार; घ. राग मेघ मल्हार २१०९. अ. मास असाड ग. वापर्या रे वापर्या रे: ग. सवालि प्रत 'घ'मां आ पंक्ति नथी. २११० अ. की गाइ; ग. के गाइ मोरडिं. प्रत
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