SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शृंगारमंजरी २०३ कडी. पांच कडी मूकीने छे. अ. समवाइ; अ.ख.घ.ग. कहो... ११४९. अ.ख.घ.क.. ग. कहो.. ११५०. क. नाहासीयावइ अ.ध. नासी यावइ अ.ख.धक कहो अ.ख. इति अणखीयां; ग. इति अणस्नीया घ. छ: ११५२. ग. सालइ ख.ग. नवि भावई ११५४. ग. अखंडीत-धारा ११५५. ग. झूरी झूरी ११५६ चाल्यो मुझे ११५७. ख.ग. रति घरि जाई ११५८. अ.ख. कोयमल मालई अ. सबली ११६२. घ. दुखडां ११६४. ख.ग. जाणन हीरा. ११६६. ग. नेहलो ग. दुहु अध ११६७. घ. जे वेसिइ जे ११६८. ग. रस-भंगार ग. ग. जांणई अण-सीखव्यु. ११६९. ग सीखि ते अण-सीखव्यु. ११७३. ग. प्रीउडो पंथि ११७४. ग. पंथि पंथ ११७५. अ. गोरी तुं सज्जलेण. ११७६. ग. पंथी पंथि ११७८. अ.ख. पंजरि-वध्धु; ग. बद्धो जीवडो ग. कहा ग. ऊडी जाई अ. किमहई अ. राग देखाख उ पे घर माहरू काहान ओ देशी. ख. ढाल २२; राग देशाख. आ पेलु घर माहरू काहान से देशी. शत्रुजय जो हारस्ये रे तेहनइ दुरगती नही रे लूगार. ग. ढाल २२, राग देखाख, ओ पेलो वर माहरा कांहान तथा शत्रुजय जहारस्वइ रे तेहनई दूरगति नही रे लगार में देशी. घ. राग देखाख, उ पेठू घर माहरू काहान; ओ देशी. ११७९, अ. विरह लायाजी; ग विरहय रोलायाजी; घ. विरहय लावाजी. ११८३ अ.घ. सरसी ११८४. अ.ख ग. शशिर चंदन उपाय ११८५. ख.ग. तनु काया क. पंथनी दोहिलइ ठाया घ. पंथ (अ)नीठा थाया. ११८६. प्रत 'ग'मां चरण २, ३, अने ४ नथी. अ.ख.घ. भायाजी ११८७. प्रत 'ग'मां चरण, १ अने २ नथी अ.लक्षतां. ख.ग. लखतां ११९०. अ. आवि; ख.ग. आवी: घ. अवइ ग. पंथि पंथि हतां अ. मूरछाया; ख ग. मूरच्छाया ११९२. ख.ग.घ. दूहा ग. अहितसेननि ११९४. हांणइ दुखडा ग. हीस्यु ११९९. ग ऊजागरो अख.घ. अता नि; ग. अतानि क. मना लवी; ख.घ. मन भालवी: ग. मन सालवी ग. करो ते करजो १२००. प्रत 'अ' अने 'ग'मां अहीं वधारानी कडी नीचे प्रमाणे छे. प्रत : अ. हैडू हेजि आवटि, व्यसन वसाही आप, करतां कीधु नेहड, निरवहितां संताप. ११७९ प्रत : ग. हैड हेजई आवटाई, व्यसन वसाइ आप, करतां किधा नेहडो, निरवहता संताप. १२१० ग. को प्रवेश ग. हवें ग. प्रगटीओ १२०१. ग. झरई ख.ग. मुक्खु ग भांहई १२१०. घ. काढा घ. त्राण करी ग. जो काढई ग. जाणुं किमहई वीसरई १२१२. ख. ख. तुहि डीलथी. ग. तोहि डीलथी १२१४. ग. हंस गतई ग. गुणनुं काम १२१५. ग. मुझ सुं हास्युं छांडि १२१६. ख. तूत; ग. तू तु घ. तनु १२१७. मुझ आपि १२१९. ग. मालती म रोय घ. समरि रोइ ख.ग. दुखि; घ. दुकिख सहिणे १२२५. ख. जाधूखाघू; ग. खाधु ख.ग. खाधू १२२६. ग. पाछओ न विलीओ १२२७. ग. अटारडो १२२९. ग. उग्यो ग. लागई झाल १२३०. अ.ख. चंदु ऊगमिउ १२३१ ख. हीडि देसि ग. किर्हि जांणिओ १२३३. कत-संदेशो पठवई १२३४. ग. मनस्यु धरज्यो १२३६. ग, तां भवि भागई; ख.ग. भवि १२३८. ग. कहे जे संदेसडो अ. राग धवल धन्यासी, मोरइ आंगणडइ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy