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________________ जयवंतरिकृत जालइ ५८१. अ. चीर-पालवइ ग. बांधी गांठि ५८२. ग. कोई ताकई अ.ग. कुहु कुहुँ कहीनि अ. (री)झवइ ५८३. अ.ख.ग. तेवड तेवडी ग. पई भांगु सही कांटडो ५८४. ख. उ सही तुनइ तेडि; ग. ओ सही तुनई; घ झालि ५८५. ख. बंधन कारण तेह ५८६. ग. वाजसइ ख ग वनिता को सहीनि हसइ ५८८. ख.ग. उल्हसइ ५८९ अ.ख.ग. भारीअ ग. ओलभडा दिइ ५९०. अ.ख.ग. तुझ पयोधर ५९१. ग. ससि तुझ ख. भमई मुख पाखलि ५९२. ग. आंतरं ५९३. ग. हासो हसइ ५९४. अ. थोडेरू सिन भीडिउ; ग. थोडेरू न मीडिओ ग. हइ झगि रिलाणो; घ. हईई गि रिलाणउ ५९५. ग. सधलइ देखई वनमय ५९६. अ. रहइ रहइ समय; ग. रहइ रहई हवडा ५९७. अ. चुवटई; ग. किहिं चुवटई ग. झाझर नि झमकारि ५९८. अ. ऋतु-वसंत जाणे अ. भलि अ.ख.ग. मानव नि मनि भावीओ ५९९. ग. समारीय ६००. ग. कांनिनी दोई अंतरि थाय ग. अडतो कोइ जाई ६०१. अ.ग को ग. थण; घ. थणहि ६०२. ख. कानिनी-गुण ग. जेणि धान कि बोलि ग. ऊलखी; ग. ओलखी ख.ग. कोओ ग. कामुक रहिं तेणि ओलि ६०३. अ.ग. केवलि-दलि घ. घमली ग.घ. कामुक ६०४. ग. भमरलो कामिनि नई ६०५. अ.ग. कोयलिं; ख. कोयलिं ग. सुणी अति आंबला ग. देइ मुझ ग. रुहाडि ६०६. ग. कानि हसिउ अ.ख.ग. कहिनि कुंचक तइ सां फल काम्यां ६०७. अ. सीबलि; ग. सीबनि अ.ग. सीबलि; घ सींबलि ख. माणसह ग. माणस ६०८. ग. सांमलो ग. विरहई अ. दुबलु; ग. दुबवो ६०९. ग. उलंभडा ६१०. अ.ख.ग. पटउली घ. माहिणीरी लजवाणी ६११. अ.ग. शीलवती पति-संयुत ६१२. ग. वडई रूधी रहइ वाहिं ६१३. ग. मुरी नव सहकार ग. सेवीइ अ.ख. आलवि; ग. लवि ६१४. ग. रिंसिकनई मनि लागई रणीयामणी अ. इति वसंत वर्णन १ छ; ख. इति वसंत वर्णन श्री ख; ग. इति वसंत वर्णन श्री. ६१५. ग. जोगवइ अ. दोगंदग अ. दुहा ख. दुहा ६१७. ग. सई दैव अ. धन दे जे देव; ख. तु धन दे जे दैव; ग. तुं धन दे जे देव ग. मानि ६१९. अ.ख. पसाउली; ग. पसाउलई ग. झूरिखु तेणिं नेहलई ६२०. ख. सनेहड; ग. सनेहडो ६२३. अ. सोहामणु; ग. सोहांमणो ख.ग. केलि-कलाप ६२३. अ. जल अमि दुध अ. राग सवा लाखी सीधनु. ख. ढाल १७, राग सवालाख सीधुओ समुद्रविजय रायां कुंयरु रे, देशी ग. ढाल १७, राग सवालखी सिंधूओ समुद्रविजय रायां कुंयरु रे, ओ देशी. ६२५. अ. वाहलाजी कीजइ सुगुणा संग; ख. कीजइ सुगुणां संग; ग. वाह लांजी कीजई सुगुणां संग ग. वाहलांजी वाघई प्रेम सहग अ. दुपद; ख. दुपद तथा आचली; ग द्रुपद तथा आंचली ६२६. घ. दुरिय नयन नि कपावीइ ६३४. अ. रवि-सुत सरिखा ६३६. ख.ग. राज-सेवना रे ६३७. ग. दिइ अग. सीखडी ख.ग. होय ग. तुहई कहई ख. डाहांइ; ग. डांहिं अ.ख.ग. सोय ६३८. प्रत 'घ'मां आ कडी नथी. ६३९. अ. राग काल हिरु, सासू पूछि सुणि नव वहआरी. से देशी ख. ढाल १८, राग काल हरिउ, सासू पूछि सुणी नव बहुआरी, से देशी. ग. ढाल, राग काल हरो. सासू पूछि सुणि नव वहुआरी, ओ देशी. ६४०. ग. सिं च्यारनई अख. द्रुपद ६४१. अ. नइ बुधि निधान अ पांचसिइ; ग. पांचसिं ६४२. ग. विसामो घ. प्रंचि अ. पट्टहाथिउं'; ख. पहाथिउ; ग. पटहाथीओ ६४३. अ. अजिति पूछी ६४५. अ प्रवण ग. तीणि फलहिं ६४५. अ. आंकि; ख. आंके ६४६. ख. अजि(त) तणि; ग. जांणि ग. रंगिजिउ ग. तुठो दुइ ६४७. ग. बईठो ६४९. ग. तुमने अहनो ६५०. अ. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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