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________________ जीवन * 'शृंगारमंजरी' अथवा 'शीलवतीचरित्ररास'ना कर्ता जयवतसूरि के जयवत १डितनु, अमनी कृतिओने अंते प्राप्त थती प्रशस्तिओमांथी, अपर नाम 'गुणसौभाग्यसूरि' मळे छे.' आम जयवत साथे ज 'गुणसौभाग्य' नाम सांपडे छे. ते परथी अटलु तो चोक्कसपणे कही शकाय के कविनु अपरनाम 'गुणसौभाग्यसूरि' हतु. जयवंतसूरिना गुरु अने गच्छ विषेनी अमनी कृतिमाथी प्राप्त थती माहिती अनुसार ते वडतपागच्छनी पर परामां थई गयेला 'विनयमंडन' उपाध्याय'ना शिष्य रे हता. पोताना गुरुनी परंपरानो * अत्रे नेांधवु जोइओ के आ कविनी अन्य कृति 'ऋषिदत्ता रास' परना डा. निपुणा अ. दलालनो महानिबंध आ पूर्व प्रगट थलो छ मे संदर्भमां कविना जीवन अने कवन अंगे केटलीक माहितीनु पुनरावर्तन थवा संभव छे. पण अत्रे ते निवारवानो प्रयास कर्या छे. जुओ, 'जयवंतसूरि रचित ऋषिदत्ता रास' स. निपुणा अ. दलाल, ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद, १९७५. - १ (अ) जे जगि धर्मसहाय गुणाकार, सुविहितनइ धुरि किद्ध, , तस सीस गुणसौभाग सुनामि जयवंतसूरि प्रसिद्ध ..५४६ -ऋषिदत्ता रास, लींबडीनो हस्तप्रत ग्रंथभंडार, लींबडी पृ. १९, (ब) गुणसभागई त्रिभूवन दीपइ, केवलन्यानिइ कुमत ज जीपइ...१ जयवतसूरि वयण रसाला, भगतिइ गाइ जिनगुणमाला...२७ सोमंधरा चंद्राउला, ला. द. भा. स. विद्यामदिर, अमदावाद हस्त प्रत क्रमांक ३५०१, पृ. ३-७ (क) ... सूरि श्री जयवंत अष गुणसौभाग्यो पराहूवोऽस्ति य... -जैन गुर्जर कविओ, सपा. मोहनलाल द. देसाई, मुबई, बीजो भाग, खंड १, पृ. ६७२. - २२ अमनी जुदी जुदी कृतिमां आ अंगे नीचे प्रमाणे उल्लेखा मळे छ : (क) वडतपगछि अति महिमावत, श्री विनयमंडन उवझाय महंत, शीलिं थूलिभद्र सरसति बुद्धि, गौतमनी परि लब्धि प्रसिद्ध. १५ ते सहिगुरुना प्रणमी पाय, जयव तसूरि सेकचितई थाई, ग्रंथ करुं शृंगारमंजरी, बोलू शीलवतीनू घरी. १७ श्री विनयम डन उवजझाय, गुण गणतां न लहू पार, विद्याइ सुरगुरु समा, रूपई मयण अवतार. २४११ ) नामइ शृंगारम जरी, शीलवतीनु रास, श्री विनयमंडन गणि सीस कीउ, जयवंत लघु सीस तास. २४१९ अने काव्यान्ते श्री विनयमंडन गणींद्रनु, लघु सीस भूमि प्रसिद्ध, जयत्रत पंडित अभिनवी शृंगारमंजरी किद्ध. २४ २२ -शृंगारमंजरी Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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