SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (8) आखीय कृति देवनागरी लिपिमां मध्यमकदना अक्षरमां लखायेली छे. केाई काई जग्याओ हांसियामा अर्थ दर्शावता शब्द लखेला मळे छे. प्रत संवत १७०३ना फागण महिनामां कृष्णपक्षनी १२मी तिथि सागरगणीओ लखी छे. आरंभ : सकलवाचकसभाभामिनीभालस्थलभूषणायमान महोपाध्याय श्री. प. श्री शांतिसागरगणि गुरुभ्यो नमे नमः, अंत : वहन्याकाशमुनिक्षपाकरमिते १७०३ संवत्सरे वैक्रमे मासे फाल्गुनिके शशांक विशादे पक्षे दशम्यां तिथौ । पुष्पा के विनयादिसागरगणि विधैज्जनानंदिनीम् शृंगारादिममंजरी समलिखत् स्वश्रेयसे सादरात् । लेखननी विशिष्टताओ : १. सामान्यतः सर्वत्र "झ" ने स्थाने "ज". जमकार, जलह, जूरइ, जांजर. २. सर्वत्र "ख" ने बदले "१". षलक (खलक), मेषला (मेखला ), दीपशिषा ( दीपशिखा) ३. सुवन्नमय, अनुदिन्नि, वन्नि, मन्नि ४. सरसत्ति, गजगत्ति, जित्त. प्रत-ग प्रस्तुत प्रत लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावादना पू. मुनिश्री पुण्यविजयजीना भंडारमाथी प्राप्त थई छे. आ व्रतमां कुले ७७-३ पाना छे. प्रत्येक पृष्टनुं माप ९.५१४४•३”नु ं छे. पत्रनी डाबी अने जमणी बाजुओ ०.८" ना हांसियो छे उपर अने नीचे ०.४ " जग्या कारी मूकेली छे. प्रत्येक पाना पर सामान्यतः १७ पंक्ति छे. आखी कृत देवनागरी लिपिमा सुवाच्य अक्षरे लखायेली छे. दंड, ढाल, राग तथा देशीनां नाम अने आरंभने लाल शाही वडे लखवामां आव्यां छे. लोकनां अंकेा पण लाल शाही वडे दर्शाववामां आब्या छे. पत्रनी उलटी बाजुओ डाबी बाजुना खूणा पर काळी शाही वडे क्रमांक स्पष्टपणे लरूया छे. प्रथम पृष्ठ पर सुंदर रंगीन भात छे. अंतिम पृष्ठ पर पण आवु ज रेखांकन छे. प्रत संवत १७४० मां कान्तिसौभाग्ये लखी छे. आरंभ : सकलवाचकसभाभामिनीभालस्थलभूषणायमान महोपाध्याय श्री २१ श्री सत्य सौभाग्यगणि गुरुभ्यो नमः. अंत : इति श्री शीलावती चरित्रगर्भिता शृंगारमंजरी नाम्ना ग्रंथ संपूर्णमिति । मंगलमालिकाबालिकावदालिंग(गी) तु ॥ संवत १७४० वर्षे मधुमासे सीतेतरपक्षे चतुदर्शी कर्मवाद्यामिति भद्र भूयात् । श्रमण संघस्य । सकलवाचकगगनांगणनभे । मणि वाचक श्री १९ श्रीसत्य सौभाग्य शिष्य पंडित श्री प० श्री अमरसौभाग्यगणिशिष्यविनेयाणुं कांतिसौभाग्येन लिखिता पुस्तिका स्वपरोपकाराय प्रीत्यर्थं वा । शुभं भवतु ॥ कल्याणस्तुः ॥ श्रीरस्तुः ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy