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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम्
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1 - उप
प्रकारके हैं । जैसे-पृथिवीकायिकजातिनाम, अपूकायिकजातिनाम, तेजः कायिकजातिनाम, 1 वायुकायिकजातिनाम, वनस्पतिकायिकजातिनाम, और उनमें भी पृथिवीकायिकजातिनाम भी अनेक भेद हैं । जैसे- शुद्धपृथिवीजातिनाम, शर्करापृथिवीजातिनाम, वालुकापृथिवीजातिनाम, उपलपृथिवीजातिनाम, शिलापृथिवीजातिनाम, लवणपृथिवीजातिनाम, अयस् (लोह) पृथिवीजातिनाम, त्रपु ( रांगा ) पृथिवीजातिनाम, ताम्रपृथिवीजातिनाम, सीसकपृथिवीजातिनाम, रूप्यपृथिवीजातिनाम, सुवर्णपृथिवीजातिनाम, वज्रपृथिवीजातिनाम, हरितालपृथिवीजातिनाम, हिङ्गुलक ( हींगके वर्णका रंगविशेष) जातिनाम, मनःशिला ( उपधातुभेद ) जातिनाम, ऐसे ही सस्य अनेकविध धान्य, काञ्चन, प्रवाल, अभ्रपटल, अभ्रवालिका पृथिवीजातिनाम आदि और भी समझलेने । तथा गोमेदक, रुचकाङ्ग, स्फटिक, लोहिताक्ष, जलावभास ( मौक्तिक ), वैडूर्य, चन्द्रप्रभ, चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त, जलकान्त, मसारगल, अश्मगर्भ, सौगन्धिक, पुलकारिष्ट, तथा काञ्चन, इत्यादि मणिपृथिवीजातिनाम समझना चाहिये । अपकायिकजातिनाम भी अनेक प्रकारका है । जैसे- उ क्लेद अप्कायिकजातिनाम, अवश्याय ( कुहिरा वा ओस) अप्कायिकजातिनाम, नीहारजातिनाम, हिमजातिनाम, घनोदकजातिनाम, तथा शुद्धोदकजातिनाम, आदि अन्य भी अप्कायिकजातिनामके अवान्तर भेद समझलेने । तेजः कायिकजातिनाम भी अनेक प्रकारका है । जैसे-अङ्गारतेजः कायिकजातिनाम, ज्वालातेजः कायिकजातिनाम, अघाततेजः कायिकजातिनाम, अर्चिस्तेजः कायिकजातिनाम, भ्रमरतेजः कायिकजातिनाम, तथा शुद्धानि - तेजःकायिकजातिनाम आदि अन्य भी जानने चाहिये । वायुकायिकजातिनामके भी अवान्तर भेद अनेक हैं । जैसे- उत्कलिकावायुकायिकजातिनाम, मण्डलिकावायुकायिकजातिनाम, झञ्झकायनवायुकायिकजातिनाम, तथा संवर्तकवायुकायिकजातिनाम आदि अन्य भी हैं । और ऐसे ही वनस्पतिकायिकजातिनाम कर्मके अवान्तर अनेक भेद हैं । जैसेकन्दवनस्पतिकायिकजातिनाम, मूलवनस्पतिकायिकजातिनाम, स्कन्धवनस्पतिकायिकजातिनाम, त्वग्वनस्पतिकायिकजातिनाम ऐसे ही काष्ठ, पत्र, प्रवाल, पुष्प, फल, गुल्म, गुच्छ, लता, वल्ली, तृण, पर्व, कायशेवाल, पनक, वलक, तथा कुहनवनस्पतिकायिकजातिनाम आदि अन्य भी समझलेने | इसी रीतिसे द्वीन्द्रियजातिनाम भी अनेक भेदसहित हैं । और इसी रीतिसे त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, तथा पञ्चेन्द्रियजातिनाम भी अनेक अवान्तर—भेद=सहित हैं ।
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शरीरनाम पञ्चविधम् । तद्यथा । औदारिकशरीरनाम वैक्रियशरीरनाम आहारकशरीर
१ यहांसे लेके पुलकारिष्ट कांचनपर्यन्त सबके आगे पृथिवीकायिकजातिनाम इतना जोड़के पढ़ना तथा समझना चाहिये, जैसे सस्य पृथिवीकायिकजातिनाम, कांचन पृथिवीकायिकजातिनाम, प्रवाल पृथिवीकायिकजातिनाम इत्यादि आगे भी ऐसे ही समझना ।
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