________________
व्याख्यानकर्ता
प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन । सुप्रसिद्ध गणितज्ञ प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन का जन्म मध्यप्रदेश के सागर जिले में हुआ । सागर विश्वविद्यालय से सन् १९४२ में स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण करने के साथ-साथ उन्होंने होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सकीय डिप्लोमा भी प्राप्त किया ।
प्रो० जैन ने मध्यप्रदेश शासकीय शैक्षणिक सेवा सन् १९५१ में प्रारम्भ की और विविध संस्थानों में विविध दायित्वों का निर्वाह करते हुए, अन्ततः शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, छिंदवाड़ा से सन् १९८४ में सेवानिवृत हुए। वर्तमान में आचार्य विद्यासागर शोध संस्थान, पिसन हारी मढ़िया-जबलपुर के मानद निदेशक का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं।
प्रो० जैन मुख्यतः गणितज्ञ हैं और आपने आइंस्टाइन के सापेक्षवाद सिद्धान्त पर गुरुतर कार्य किया है । इतना ही नहीं, वे गणित सम्बन्धी संस्कृत-प्राकृत वाङ्मय के तलस्पर्शी विद्वान् हैं । हिन्दी
और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान रूप से आपकी अच्छी गति है । उन्होंने भारतीय गणित के इतिहास के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक इतिहास से सम्बन्धित अनेकों मौलिक सन्दर्भो को रेखांकित किया है। कुछ समय पहले, उन्होंने जैनधर्म सिद्धान्त से सम्बन्धित 'लब्धिसार' (१००० ए० डी०) एवं 'प्रस्तार रत्नावली' (Prastar Ratnavali) पर महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न किया है, जो प्रकाशित है । सम्प्रति प्रो० जैन करणानुयोग में गणितीय सन्दर्भो पर कार्य कर रहे हैं । आपने अपनी इस महत्त्वपूर्ण विद्या के विकास, प्रचार, प्रसार के लिए बहुत कार्य किया है । देश-विदेश में आपके अनेक शिष्य हैं । इन विषयों पर शोध कार्य हेतु अनेक शोधार्थियों को आपका निरन्तर मार्गदर्शन प्राप्त है।
विगत तीन दशकों से प्रो० जैन प्राच्यगणितशास्त्र के पूर्ण समर्पित विद्वान् हैं उनके समर्पण-भाव और गणित जैसे अछूते और
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org