________________
31
पं.फूलचन्द्र शास्त्री व्याख्यानमाला
. Kumar, Ravi, The Jain Cosmology, Basel, 1981
अभिनवावधि में 1988 से लेकर 1994 तक जैन पुरातत्त्व एवं कला सम्बन्धी नवीनतम लेख अर्हत् वचन, इंदौर में उपलब्ध हैं। 49. जैन, अभय प्रकाश, जैन ग्रन्थों में प्रतिपादितवीणा, अर्हत्वचन, 5.4, 1993,
247-252
Jain, A.P., Raga and their Time, Ibid, 4 (2,3), 1992, 111-114 . "", The Emergence of Drone in Indian Music as Depicted in Jaina
Sources, Ibid., 4.1, 1992,39-44 Transitive Elements of Music in Jaina Work, 3.4, 1991, 13-16. Bajpai, K.D., Contribution of Jainism to Indian Art, Ibid, 3.3, 1991, 17-22. आयागपट्ट, थूह, तोरण, कुंभ, माण्डविका, शीलदेवी, ग्रामदेवी, प्रतिमा, सर्वेतोभद्रिका, पुष्करिणी, आराम, विहार, पुण्य शाललोहिक कारक, सरस्वती, वेदिका, तोरणद्वार, पद्मासन, कायोत्सर्गमुद्रा, स्थिर एवं गतिशील चित्रक आदि, । सौंदर्य ओसिया, रणकपुर, गयारसपुर, कुम्भरिया, आबू वडनगर, श्रवणबेलगोल, मूडबिद्री आदि में द्रष्टव्य । शील प्रदर्शन। उपयोगिता दृष्टि । सौंदर्य कला भी। खजुराहों की शिखर शैली, महामण्डप,
अंतराल, गर्भगृह, गरुड पर जैन देवी, अप्सरा, आदि में अद्वितीय विज्ञान । 50. धवला टीका समन्वित षट्खंडागम, पुस्तक 13, सं. हीरालाल जैन, भेलसा,
1955. ब्र. सुमनशास्त्री, जैन दर्शन, अध्यात्म/विज्ञान, अर्हत् वचन 4.2-3, 1992,25-28 मनोविज्ञान, ईतेल्सोन, त.प. इत्यादि, मास्को, 1986, 1990. Makarov, I.M., ed., Cybernetics of LivingMatter, Moscow, 1987.
Alkunson. R.L., etal., Psychology, New York, 1987. 51. वही, साथ ही . रामसेनाचार्य प्रणीत, तत्त्वानुशासन, दिल्ली, 1963 . Eliade, Mircea, Yoga-Immortality and Freedom, New York, 1958.
योगबिन्दु (हरिभद्र)-सटीक, जैन ध.प्र.स., भावनगर, 1911 । योगदृष्टिसमुच्चय, वही, दे.ला. बम्बई, 1993
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org