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प्रकाशकीय
यह अत्यन्त हर्षकी बात है कि श्री गणेशप्रसाद वर्णी दि० जैन संस्थान अपना तीसवाँ प्रकाशन 'आत्मानुशासन' समाजके सामने प्रस्तुत कर रहा है। इस पुस्तकका संपादन पू० दादा पं० फूलचन्द्र जी शास्त्रीने किया है तथा इसमें यथासम्भव सहयोग डॉ० फूलचन्द जैन प्रेमी तथा भाई पं० हीरालाल जी गंगवालका रहा है। पुस्तककी हिन्दी प्रस्तावना भी सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र जी शास्त्रीने लिखी है। इस पुस्तकके साथ ही संस्थान अपने प्रकाशकोंपर अंग्रेजीमें भी प्रस्तावना देनेकी परम्परा प्रारम्भ कर रहा है। यह हिन्दी न जाननेवाले जिज्ञासुओं तथा विदेशी पाठकोंके लिये भी उपयुक्त होगा। इस ग्रन्थकी अंग्रेजी प्रस्तावना मैंने लिखनेका प्रयास किया है। यह पहला प्रयास होनेसे इसमें त्रुटियाँ होना सम्भव है अतः इसके लिये क्षमाप्रार्थी हूँ। श्री सेठ ताराचंद जी गंगवाल, जयपुरका पूज्य दादाजीसे निकट संपर्क है। उनके सहयोगसे ही 'आत्मानुशासन' भाषा टीकाकी एक हस्तलिखित प्रति आदर्शनगर दि० जैन मन्दिर, जयपुरसे प्राप्त हुई, जिसका इस ग्रन्थके संपादनमें पूरा उपयोग हुआ है। इस पुस्तकके प्रकाशनमें जिनके निमित्तसे आर्थिक योगदान प्राप्त हुआ है, वे हैं श्री सेठ रतनलाल जी पाटनी, इंदौर, श्री पं० हीरालाल जी गंगवाल, इन्दौर, श्री टीकमचंद जी पंचोली, इन्दौर तथा अरविन्दकुमार जैन करहल और श्री विजयकुमार जैन कुरावली । मैं इन सभी सज्जनोंका आभारी हूँ। १४४/३, विकास नगर,
डॉ. अशोक जैन रुड़की
प्रबन्धक वी०नि० सं० २५०९
श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थान (अगस्त, १९८३)
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