SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृष्ट १२४ १.२८ २५८ ] वृहद्र्व्यसंग्रहः [पारिभाषिक शब्द पृष्ठ । शब्द य | रौद्रध्यान (४) १६७ योग ८६,८७, ६०, ६२, १४६ योग-मार्गणा | लघुसिद्धचक्र २०४ यथाख्यात (चारित्र) १४७, लवण समुद्र ११६, १३१, १३५, १३७ यमकगिरी लब्धि (५) १५४, १५५ लक्षमण १६५, १६८, १७० रक्ता (नदी) लाङ्गलवर्ता (देश) १२७ रक्तोदा (नदी) लांतव (स्वर्ग) १३८, १३६, १४०, १४२ ६४, ११४. १३६ लेश्या-मार्गणा ३८ रत्नत्रय ८१, १०४, १२६, १४८, १६०, । लोक अनुप्रेक्षा ११३ १६१, १६२, १७०, १६५, २२८ लोक आकाश ___५६, ११३, २११ रत्नप्रभा (नरक) ११४, ११५, ११६ | लोकमूढ़ता १६६ रत्नसंचया (नगरी) १०५ रमणीया (देश) १२८ लोकविभाग (ग्रन्थ) १३७ रम्यक क्षेत्र १२१, १२४ | लोकान्तिक देव १०५, १५८, २२६ रम्यका (देश) १२८ | लोकालोक व्यापक रम्या (देश) १२८ रसाङ्ग-कल्पवृक्ष १२६ वच्छा (देश) १२८ २०१, २०२ वच्छावति (देश) १२८ रामचन्द्र १६५, १६८, १६६, १७४, वज्रकरण (राजा) १७४ २०६, २२८ वनकुमार (विद्याधर) रामायण ६७४, १७५ वप्रकावति (देश) १३० रावण १५६, १६५, १६८, १७०, २०६ वप्रा (देश) १३० राक्षस वप्रा रानी १७५ रिष्टा (नगरी) १२७ रिष्टपूरी (नगरी) १२७ वर्द्धनकुमार वर्द्धमान (तीर्थङ्कर) २२६ रुक्मि (पर्वत) १२१, १२४ रुक्मिणी (रानी) १७१ वर्ष (क्षेत्र) १२१ रूप्यकुला (नदी) १२४ वर्षधर १२१ रूपस्थ-ध्यान २०१, २०५, २०६, २१० वस्त्राङ्ग कल्पवृक्ष रूपातीत-ध्यान २०१, २११ वसुदेव (राजा) रेवती (श्राविका) १७१ वक्षार पर्वात १२७, १२८, १२६, १३२ रोहिणी (नक्षत्र) १३६ / वाक्यशुद्धि १०२ रोहित (नदी) १२२, १२३, १२४ | वायुभूत (मुनि) १६४ रोहितास्या (नदी) १२२, १२३, १२४ | वार्तिक १३८, १५३ २६ १७५ ११६ १२६ १६८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004016
Book TitleBruhad Dravya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBramhadev
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1958
Total Pages284
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy