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________________ पृष्ठ १२७ बलदेव १३० २१० 188 १११ १४४ ११६ २५६ ] वृहद्रव्यसंग्रहः [पारिभाषिक शब्द शब्द पृष्ठ । शब्द पुष्कराध द्वीप १३२, १३५, १३७ पुष्कला (देश) १२७ बन्ध ५०,८०, ८१, ८३, ८४,६२, २२६ पुष्कलावति (देश) ११८, १६८ पुष्पडाल (मुनि) १७३ बली (मंत्री) १७३ पूर्व (वर्ष) बहिरात्मा ४५,४६,४७,४८,८१ पूर्व (१४) १७६,२२६,२२७,२२८ | बहुरूपिणी १६५ पैशाची भाषा बाधित हेतु पुंडरीक (हृद) १२१ बालुकाप्रभा (नरक) ११४ पुंडरीकणी (नगरी) १२७ बिले ११५ पृथक्त्व बुध (ग्रह) १३४ पृथक्त्व-वितर्कवीचार बेलापत्तन (नगर) प्रकृति बंध ६०, ६१, १४६ बोधि प्रकीर्णक बिला बोधि दुर्लभ १४३ प्रकीर्णक विमान १४० बौद्धमत १८१ प्रतिनारायण ११८, १६८, १६६ प्रतिमा (११) १६१, १६२ भद्रशाल १२३, १२६, १२८, १२६ प्रतिष्ठापन शुद्धि १०१ भय (७) १६६ प्रत्यक्ष १५, १६, १७, २०६ | भरणी (नक्षत्र) प्रत्याख्यानावरण १६२ भरत चक्री १०७,१३५,२२५,२२६,२२८ प्रथमानुयोग १७६, १८० भरत क्षेत्र १२१,१२२,१२४,१२५,१३०,१३१ प्रदेश ७२, ७३, ७४, ७५ १३२,१३५ प्रदेश बंध ६०, ६२, १४८ | भव-अन्तरित २०६ प्रभाकरी (नगरी) १२८ भवन १२० प्रमत्तसंयत ३४, ६४, १४८ भवनवासी ११६, १२०, १४१ प्रमाणु ५०, ७२, २०६ भव्य ४७, ८२, १६६ प्रमाद ८६, ८७ भव्य मार्गणा ३८ प्रयोजन भाजनाङ्ग कल्पवृक्ष १२६ प्रवचनसार भाव असिद्ध हेतु प्रश्नव्याकरणांग १७६ | भाव आस्रव ८५, ८६ प्राकृत (भाषा) ५१ | भाव नमस्कार प्राण ११, ३०, ३१ | भाव निर्जरा १४८, १५० प्राणत (स्वर्ग) १३८,१३६,१४०,१४२ | भाव निर्विचिकित्सा प्रायोगिक (शब्द) ५१ | भाव बन्ध ५१,८६,६० २०६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004016
Book TitleBruhad Dravya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBramhadev
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1958
Total Pages284
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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