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परस्त्री - आसक्ति से सर्वनाश : १८१
सत्सग करके सीखा ही था । फलतः ब्रह्मचर्य का स्थूल पालन तो वह करता था, परन्तु ब्रह्मचर्य उसके अन्तरंग में रचा- पचा नहीं था । वह अभी अपरिपक्व साधक था । गाँव की कई बहू बेटियाँ उसके पास आया-जाया करती थीं। एक दिन एक सुन्दर युवती को देखकर मोहकर्मवश उसके मन में कामवासना जागी । पहले तो उसने रोकने और दबाने की कोशिश की, परन्तु शुद्ध और परिपक्व विचार के बिना काम का वेग रुक न सका । युवती अकेली ही थी । बाबा उसे कुटिया में ले गया और अपनी कामवासना शान्त की । वर्षों की कमाई क्षणिक कामावेश में आकर समाप्त कर दी । अब तो बाबा को चस्का लग गया । आए दिन किसी न किसी युवती को पटाकर वह कुकर्म करता रहता था । एक दिन एक तेजस्वी युवती के समक्ष जब उसने अपने मन की दुर्भावना प्रकट की तो वह बाबा की नीयत बिगड़ी समझकर सावधान हो गई । ज्योंही बाबा उसे पकड़ने लगा, त्योंही झटका देकर उसने अपने को छुड़ा लिया और पास में ही पड़े डंडे से उसकी खूब पिटाई की। बाबा की अब आँखें खुलीं । "युवती तो तुरंत ही चली गई थी। काम का नशा भी उतर चुका था । परन्तु गाँव में उसके दुश्चरित्र का डंका पिट गया था । इस कारण उसी रात को बोरिया बिस्तर बाँधकर बाबा वहाँ से रफूचक्कर हो गया ।
इस प्रकार ब्रह्मचर्य को न पचाने के कारण कई अपरिपक्व ब्रह्मचर्यपालक भी क्षणिक कामावेश में आकर अपना सर्वस्व लुटा देते हैं । फिर वे सदा के लिए परस्त्रीगामी बन जाते हैं । उनका एक बार पतन होने के बाद संभलना कठिन हो जाता है । इसलिए क्षणिक कामावेश भी परस्त्रीसेवन का एक कारण है ।
३. अज्ञानता - अज्ञानता भी परस्त्री - सेवन की चाट लगाने में बहुत बड़ा कारण है । भारतवर्ष में कई अज्ञानताएँ पनप रही हैं । उनके कारण बहुत से मिथ्याविश्वास भी चल रहे हैं । कई स्त्रियाँ प्रदरादि स्त्री रोगों को न समझकर उसकी वास्तविक चिकित्सा कराने के बजाय, मंत्र, तंत्र, डोरा, ताबीज, झाड़-फूँक आदि करने वाले धूर्तों के चक्कर में फँस जाती हैं । वे उन्हें भूत-प्रेत, डाइन आदि लग जाने का बहम डाल देते हैं और फिर उनके साथ मौका पाकर कुकर्म करते हैं । अन्धविश्वासवश बेचारी स्त्रियाँ अपना शरीर सौंप देती हैं । ऐसे सयानों एवं धूर्तों के चक्कर में पड़ जाती हैं और वे करते हैं । इस प्रकार की हजारों भोली स्त्रियाँ अज्ञानतावश लुटा देती हैं ।
दिल्ली में एक सिक्ख भूत-प्रेत निकालने का धंधा करता था । वह इसी बहाने कई स्त्रियों को बिगाड़ चुका था। इसी बहाने से अपने पति से असन्तुष्ट
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पुत्रलिप्सावश कई स्त्रियाँ
उनके साथ काला मुँह अपना धन और शील
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