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९८ : आनन्द प्रवचन : भाग १२
बेचने तक में लगा रहता है। हत्या-कर्म करते-करते या देखते-देखते इस वर्ग के स्वभाव से दया, क्षमा, संवेदना, सहानुभूति, सहृदयता आदि की कोमल भावनाएँ नष्ट हो जाती हैं, उनका स्थान निर्दयता, क्रूरता, कठोरता, असहनशीलता आदि वृत्तियाँ ले लेती हैं; जिससे वे समाज के लिए अहितकर, अकरणीय एवं अनुचित काम करने में संकोच नहीं करते ।।
शिकागो के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अनेक वर्षों तक अपराधों की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट में लिखा है-'अधिकतर अपराध कसाईघरों के कार्य में लगे व्यक्तियों द्वारा ही किये जाते हैं । इस घृणित पेशे को करते-करते इन लोगों की समस्त सवृत्तियाँ कुण्ठित हो जाती हैं, तब वे अक्सर अवसर आने पर मनुष्यों पर छुरी फेरने में नहीं हिचकिचाते ।"
__इस प्रकार मांसाहार के कारण समाज का बड़ा वर्ग हृदय-हीन होकर अकरुण एवं निर्दय स्वभाव का हो जाए, इसमें कोई अत्युक्ति नहीं । हृदयहीनता के कारण जिसका स्वभाव दारुण हो गया हो, वह समाज में अशान्ति, अपराध अथवा अपकार न करे, ऐसी आशा करना दुराशामात्र है। फिर ये अपराध अनेक शाखा-प्रशाखाओं में फूटकर अनेक प्रकार के अपराधों में वृद्धि करते हैं । इस प्रकार समाज की शान्ति और व्यवस्था को हानि पहुँचाने के लिए उत्तरदायी मांसाहार ही ठहरता है । मांसाहार : अपवित्र एवं मनुष्य के लिए अयोग्य
मांस पेशाब की बूंदों से बना होता है । पेशाब को नापाक और गन्दा पदार्थ माना जाता है । उसे मनुष्य अपवित्र और अस्पृश्य मानता है । लेकिन आश्चर्य है उन्हीं पेशाब और रक्त की बूंदों से बने हुए अपवित्र, घृणित और अस्पृश्य मांस को मनुष्य अपने पेट में डालता है । सिक्ख सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरु नानक ने मांसाहार को बहुत ही अपवित्र और गंदा बताते हुए कहा है
जो रत्त लागे कापड़े, जामा होय पलीत ।
जो रत्त पीवे मानुषा, तिन क्यों निर्मल चित्त॥१ यों तो मनुष्य मुर्दे को अपवित्र, अस्पृश्य और घृणित मानता है । मुर्दा जलाने या दफनाने के बाद लोग नहाते और कपड़े बदलते हैं । मुर्दा जहाँ रखा हो, उस जगह को धोते हैं, परन्तु मृत-पशुओं का मांस खाने वाले, अपने पेट को कब्रिस्तानमरघट बना डालते हैं, वहाँ अपवित्रता और गंदगी का कोई विचार नहीं करते । वसुनन्दी श्रावकाचार में मांस को बीभत्स एवं घृणित बताया है
मंसं अमज्झसरिसं किमिकुलभरियं दुग्गंध बीभच्छं । पाएण छिबेउं जं ण तीरए, तं कहं भोत्तुं ॥
१ बाबा नानक, बारमास मांझ महल्ला १, पृष्ठ १४०
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