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चूत में आसक्ति से धन का नाश : ७७
सब दिनरात सरीखे जाते, परमुख देख-देख पछिताते,
कुआचरण जिनके हो जाते। कहें अंगुली लोग बताय के, यह कुल कपूत शठ ठेले ॥३॥
सामाजिक जीवन-धन की क्षति जुआ-सट्टा खेलने वाले लोगों का पारिवारिक जीवन भी अशान्त, क्लेशयुक्त एवं दुःख-दैन्य से परिपूर्ण हो जाता है । पारिवारिक जीवन का धर्मध्यान से रहित होना जीवन की बहुत बड़ी क्षति है । जो परिवार आज तक पूर्वजों की धर्ममय परम्पराओं, मर्यादाओं और सुसंस्कारों से युक्त रहा है, जूआ खेलने वाला व्यक्ति उन सब परम्पराओं, मर्यादाओं और सुसंस्कारों को धीरे-धीरे छोड़ बैठता है। इससे परिवार में, नई पीढ़ी में जो धर्मयुक्त परम्परा एवं मर्यादा के पालन के संस्कार सुदृढ़ होने चाहिए, वे द्यूतकार पिता या भाई की देखादेखी लुप्त हो जाते हैं । पारिवारिक क्लेश तो होता ही है, यह तो अनुभवसिद्ध बात है।
समाज में जुआरी का अविश्वास हो जाने से उसकी कई आवश्यक जरूरतें, जिन्हें दूसरों की सहायता से ही पूरा किया जा सकता था, अधूरी रह जाती हैं। प्रायः कोई भी उसकी सहायता करने को तैयार नहीं होता। उसका कारण यह है कि एक तो सहायता करने वाले को बदनामी का भय रहता है, दूसरे रुपये वापिस मिलने की भी गारंटी नहीं रहती। इस प्रकार संकट की विषम घड़ियों में अकेले असहाय पड़ जाने से जूए के व्यसनी भारी कष्ट भोगते हैं।
सामाजिक जीवन में यश-प्राप्ति, अर्थसम्पन्नता, कुलाचार, कला, सौन्दर्य, तेजस्विता, मित्र आदि का सहयोग, साधु-साध्वियों की सेवा का लाभ, धार्मिकता, नैतिकता आदि गुणों की आवश्यकता कदम-कदम पर रहती है। इन गुणों से मनुष्य का सामाजिक जीवन उन्नत, यशस्वी, विकसित और सुख-शान्तिसम्पन्न होता है, परन्तु द्यूतव्यसनी व्यक्तियों के जीवन में विकसित सामाजिक जीवन के लिए इन गुणों का लोप हो जाता है । इसीलिए कर्पूरप्रकरण में कहा है
"धू तेनाऽर्थ-यशः-कुलक्रम-कला-सौन्दर्य-तेजः-सुहृत्साधूपासन-धर्मचिन्तनगुणाः नश्यन्ति सन्तोऽपि हि । यद्वत् पाण्डुसुतेषु तच्च्युतसुधीष्वादित्यभा-जिते
विश्वे किं तमसा स्फुटं घट-पट-स्तम्भादि वा लक्ष्यते ॥ अर्थात्-जूए से मानव में अर्थ, यश, कुलाचार, कला, सौन्दर्य, तेज, मित्र, साधुओं की सेवा, धर्मचिन्तन आदि विद्यमान गुण भी नष्ट हो जाते हैं । अहह ! पाँचों पाण्डव जो सूर्य के समान तेजस्वी और बुद्धिमान थे, जुआ खेलने के कारण तेजोहीन
और बुद्धिभ्रष्ट हो गए । संसार में जब सूर्य का प्रकाश नहीं रहता, तब घोर अन्धकार में क्या घट, पट, स्तम्भ आदि दिखाई दे सकते हैं ?
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