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आनन्द प्रवचन भाग ११
ने अपने पुत्र से कहा-"अपना गड़ा हुआ धन जाकर देख आ।" पुत्र वहाँ गया, किन्तु वहाँ धन गायब । पुत्र ने आकर पिता से कहा । पिता ने कहा- "मुझे तो उसी पर शंका है, जिसके तू नाक-कान काटकर लाया था।" दोनों ने उसे खोजा तो एक जगह सुन्दर वस्त्राभूषण पहने जुआ खेलते हुए देखा । नाक-कान कटे हुए थे। सेठ ने उसे धिक्कारा । अंत में कहा-"जो द्रव्य बचाहो तो उसे ले आ । तुझे भी कुछ दे दूंगा।" जुआरी ने बचा हुआ धन सेठ को सौंप दिया। सेठ ने कुछ द्रव्य उसे देकर विदा किया।
___दरिद्र को अपनी दरिद्रतावश मुर्दे की तरह कितना कठोर आघात सहना पड़ा। इसीलिए गौतम महर्षि ने इस जीवनसूत्र में कहा है
मुआ दरिद्दा य समं विभत्ता
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