________________
७४
आनन्द प्रवचन : भाग १०
गट्ठर सिर पर उठा लेने से घोड़ी के भार में कोई फर्क पड़ता है ? फिर भी यह मूर्ख घोड़ी पर चढ़कर भी गट्ठर अपने सिर पर उठाये हुए है ।"
इसके अतिरिक्त मूर्खों में एक और विशेषता होती है, वे जिस बात को एक बार पकड़ लेते हैं, फिर उसे जिन्दगी भर छोड़ते नहीं । चाहे उन्हें कोई कितना ही समझाए, उनके हित की बात कहे, उन्हें अहितकर बात को छोड़ने के लिए कितना ही ललचाए, वे उसे छोड़ने और हितकर बात को सुनने-समझने के लिए तैयार नहीं हो ।
गोस्वामी तुलसीदासजी ने मूर्ख के विषय में ठीक ही कहा है
फूलै फर न बेत, जदपि सुधा बरसह जलद । मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिलं बिरंचि - सम ॥
लगभग दो शताब्दी पहले यूरोप भी मूढ़ताओं और अन्धविश्वासों का केन्द्र था । यूरोप की उस समय बड़ी दुर्दशा थी । लोग गन्दगी भरे स्थानों में रहते थे । नगरों की सड़कें घूरे के समान कूड़े-कचरे से भरी रहती थीं। यूरोप के एक नगर की बात है, जब नवयुग का प्रवेश हुआ, वहाँ म्युनिसिपल संस्थाओं की स्थापना हुई तो समझदार लोगों का ध्यान इस ओर गया । उन्होंने सोचा कि इन सड़कों की सफाई कर डालना चाहिए । परन्तु इससे पहले कभी सड़कों की सफाई नहीं की गई थी । मूर्ख लोगों ने देखा कि यह तो बिल्कुल नयी बात है, ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं, क्या हमारे पूर्वज मूर्ख थे ? अगर सड़कों की सफाई कराना आवश्यक होता तो वे क्यों नं कराते ? न मालूम इस सफाई से कोई अनर्थ हो जाएगा तो ? अगर सड़कों की सफाई होगी तो देवता कुपित हो जाएँगे, वे रुष्ट होकर बीमारियाँ फैलायेंगे । हम मर जायेंगे ।
म्युनिसिपल अधिकारियों के सामने मूर्ख जनता को कैसे समझाएं कि सड़कों की घटेंगी ही । अन्त में यह निश्चय हुआ कि डाक्टरों के सामने उनकी राय रखी जाए तो शायद जनता ने विचार कर लिया था कि अगर डाक्टर पुरानी बायकाट किया जाएगा ।
विकट समस्या खड़ी हो गई कि इस सफाई होने से बीमारियाँ बढ़ेंगी नहीं,
की सलाह ली जाए और जनता समझ जाये । लेकिन मूर्ख जनता रीति के विरुद्ध बोलेंगे तो उनका
डाक्टरों ने जब यह सुना तो सोचा - "सड़कों की गन्दगी से लोग कल मरते हों तो भले ही आज मरें, हम अपना वायकाट कराके क्यों अपनी रोजी खोएँ ?"
Jain Education International
फलतः जब म्युनिसिपल अधिकारियों ने डाक्टरों से सलाह ली तो उन्होंने भी मूर्ख लोगों का पक्ष लिया कि सड़कों की सफाई आवश्यक नहीं है, इससे बीमारियाँ बढ़ेंगी । डाक्टरों के तो दोनों हाथों में लड्डू हो गये । एक तो जनता के पक्ष में राय देने से जनता खुश हो गई, दूसरे गन्दगी से बीमारी बढ़ेंगी, बीमार बढ़ेंगे तो उनकी पाँचों अंगुलियाँ घी में होंगी ।
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org