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दुष्टाधिप होते दण्डपरायण - २ २५
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बस, आगे-आगे बाबाजी और पीछे-पीछे गरीब मजदूरों का झुण्ड । जब बाजार 'झुण्ड को गुजरते देखा तो लोगों ने पूछा - "बाबाजी ! आज कहाँ चढ़ाई करने जा रहे हो ?" बाबाजी ने उन गरीबों की झोंपड़ी महारानी द्वारा जला देने की बात कही तो कुछ लोग कहने लगे - " महारानी ने गरीबों की झोंपड़ियाँ जला दीं तो कौन-सी लंका जल गई ? घास-फूस की कमी तो है नहीं, फिर खड़ी कर लेना । इतनी छोटीबात के लिए महाराज तक जाने की क्या जरूरत है ?"
बाबाजी ने कहा- "तुम्हें पता नहीं है, उन झौंपड़ियों में और सामान में इन गरीबों का कितना श्रम लगा है ? आज तो महारानी ने इनकी झौंपड़ियाँ जलायी हैं, कल को अपने मौज-शौक के लिए तुम्हारे पक्के मकान भी जला सकती हैं। जो आज छोटा अत्याचार कर सकता है, उसे कल बड़ा अत्याचार करते क्या देर लगेगी ? इसलिए अभी से चेत जाओ और अगर तुम्हारे मन में इन गरीबों के प्रति कुछ सहानुभूति है, तो तुम भी हमारे साथ चलकर राजा से फरियाद करो। "
लोगों के बात समझ में आ गयी ।
कुछ समझदार लोग सहृदयतावश इन गरीबों के झुण्ड के साथ हो लिये और एक विशाल जनसमूह राजमहल के चौक में जा खड़ा हुआ। राजा ने जनता का शोर सुना तो महल के झरोखों से बाहर की ओर झाँका । बड़ी-सी भीड़ देखकर राजा ने पूछा - " प्रजाजनो ! क्या बात है ? क्या तुम लोगों को किसी ने सताया है या तुम पर कोई आफत आई है ?"
प्रजा - "महाराज ! हम गरीबों का सर्वस्व लुट गया । हमारी सब झौंपडियाँ और उसमें रखी हुई सामग्री सब जलकर खाक हो गई । अब हम सर्दी-गर्मी कैसे बिताएँगे ? निराधार हो गये हम तो ?"
राजा - " तुम्हारी झोंपड़ियाँ किसने और क्यों जलायीं ?"
प्रजा - "अन्नदाता ! आज महारानीजी नदी पर स्नान करने पधारी थीं । स्नान के बाद उन्हें ठण्ड लगी तो तापने के लिए शायद एक झौंपड़ी में आग लगवाई होगी, मगर हवा के प्रबल वेग से आग की लपटें दूर-दूर फैल गयीं और आसपास की सब झौंपड़ियाँ सामान सहित जलकर भस्म हो गयीं। हम गृह-विहीन हो गये । "
राजा - " अच्छा ! ऐसा अत्याचार हुआ तुम पर ! ठहरो, अभी तुम्हारा फैसला करवाता हूँ । घबराओ मत ।”
राजा ने उसी समय चम्पकवती दासी को महारानी को बुला लाने का आदेश दिया ।
चम्पकवती ने महारानी के पास जाकर उन्हें राजा का आदेश सुना दिया । महारानी ने पूछा - "इस समय क्यों याद कर रहे हैं ?"
चम्पकवती बोली--" महारानीजी ! मैंने जो कहा था, वही हुआ न ! आप मानी नहीं । आपने एक झोंपड़ी में आग लगवाई, लेकिन वहाँ की तमाम झोंपड़ियाँ
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