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राजमन्त्री बुद्धिमान सोहता ३४५
वर्तमान युग के मन्त्री वर्तमान लोकतन्त्री शासन प्रणाली में मन्त्री का चुनाव जनता करती है, परन्तु जनता अगर ऐसे दोषयुक्त मन्त्री का निर्वाचन करती है तो उसका दुष्परिणाम उसे ही भोगना पड़ता है। प्रायः वर्तमानयुगीन मन्त्री राष्ट्र, शासन और जनता-जनार्दन के प्रति वफादार नहीं रहते, वे अपनी कुर्सी मजबूत करने में और तिकड़मबाजी करने लगे रहते हैं। ऐसे निर्वाचित मन्त्रियों पर जब तक जनता और जन-सेवकों के नैतिक संगठनों का अंकुश नहीं होगा, तब तक इनका सही राह पर चलना कठिन है ।
मन्त्री को शोभा : स्थिर बुद्धिमत्ता महर्षि गौतम को इसीलिए इस जीवन सूत्र के द्वारा कहना पड़ा कि मन्त्री सुस्थिर बुद्धि से युक्त, योग्य और राष्ट्र एवं शासक के प्रति वफादार होगा, तभी धर्मशासन तेजस्वी बन सकेगा। नीति और धर्म की दृष्टि से मन्त्री का सुस्थिर बुद्धि से युक्त होना आवश्यक है, इसी में उसके जीवन की शोभा है।
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