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मूर्ख नर होते कोपपरायण
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भारत-विभाजन के समय पंजाब में साम्प्रदायिक उन्माद छाया हुआ था । सदियों से पड़ौस-पड़ोस में रहने वाले हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहवश एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए थे। एक-दूसरे को देखकर आँखों में खून उतर आता था । न मनुष्य के प्राणों का मूल्य था और न बहनों की इज्जत का । निरीह बच्चों को मारकर बहनों की इज्जत लूटकर सृष्टि की सर्वोत्तम देन को नष्ट करने पर तुले हुए थे ।
वास्तव में, इन मूर्खों में साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह का नशा चढ़ा हुआ था, जो क्रोध, द्वेष और वैर-विरोध का खेल करवा रहा था । इसी प्रकार के जातीय और प्रान्तीय पूर्वाग्रह द्विभाषी बम्बई राज्य के समय बम्बई आदि में गुजराती - महाराष्ट्रियों में देखा जा रहा था । 'मुम्बई अमची' कहकर पूर्वाग्रह के भूत से ग्रस्त मूर्ख विरोध करने वालों की खोपड़ी फोड़ डालते थे । आज भी देश में धर्म, संप्रदाय, जाति-विरादरी के नाम पर हृदय दहलाने वाले नृशंस काण्ड होते सुने जाते हैं । यह सब मनुष्य की महामूर्खता के लक्षण हैं ।
इस सम्बन्ध में विदुरनीति में बताया है—
अमित्रं कुरुते मित्रं, मित्रं द्व ेष्टि हिनस्ति च । कर्म चारभते दुष्टं, तमाहुर्मूढचेतसम् ॥
"जो शत्रु को मित्र बना लेता है और जो उसके अपने हितैषी मित्र हैं, उनके साथ द्वेष रखता है, उन्हें मार डालता है, तथा भयंकर दुष्कर्म करता है, उसे मूढचेता कहते हैं । "
जरा-सी बात पर भड़क जाना-मूर्खता का सातवाँ चिह्न
इसके पश्चात मूर्ख के कुपित होने का सातवीं कारण है-किसी के द्वारा जरा सा छेड़ना । छेड़ना तो दूर रहा, मूर्ख को अगर कोई जरा-सी भी उसकी भूल बता देता है तो वह उबल पड़ता है । कभी-कभी क्रोधावेश में आकर वह दूसरे की हत्या भी कर बैठता है ।
आज से लगभग २६ साल पहले की दिल्ली की एक घटना है- एक जोहरी का लड़का नन्दकिशोर और राधेश्याम एक ही मुहल्ले में रहते थे । नन्दकिशोर मैट्रिक में फेल हो गया । दुर्भाग्य से परीक्षाफल निकलने के दूसरे दिन दोनों एक जगह मिल गये । राधेश्याम ने नन्दकिशोर से सहजभाव से कहा - "सुना है, तू फेल हो गया । जरा ढंग से पढ़ाकर भाई !" यह बात मूर्ख नन्दकिशोर को चुभ गई । उसने उसे गाली निकालकर कहा - "तू कौन होता है, कहने वाला ? " इस पर मूर्ख राधेश्याम ने भी चाकू निकाला और नन्दकिशोर पर तीन वार किये । वह घायल होकर गिर पड़ा। उसे तुरन्त अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ उसकी तुरन्त मृत्यु हो गई ।
पठित मूर्ख तो जरा-सा छेड़ते ही
यह घटना बताती है कि मूर्ख - जिसमें तुरन्त कुपित होकर अनर्थ कर बैठता है ।
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