SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६० आनन्द प्रवचन : भाग ६ वर्तमान मानवबुद्धि : तारक या मारक ? यही कारण है कि मानव की इस अमोघ बुद्धिशक्ति को देखते हुने जगत उससे यह आशा करने लगा है कि वह पशुताबुद्धि से आगे बढ़कर मानवताबुद्धि का उपयोग करके संसार को स्वर्ग बनाएगा, लेकिन वह बौद्धिक शक्ति में इतना ऊँचा उठकर भी बुद्धि का समुचित उपयोग करना नहीं जानता। इस कारण मानवबुद्धि आज तारक के बदले प्रायः मारक बनी हुई है। मार कबुद्धि को हम कुमति कहते हैं, दुर्बुद्धि भी कह सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी पर बम बरसाकर उन्हें तहसनहस कर डालने वाली मानवबुद्धि चाहे जितनी आगे बढ़ी हुई हो, उसे मारक ही कहा जायेगा । सुमति और कुमति का अन्तर कवि के शब्दों में देखिये भला स्वयं का विश्व का, करती सुमति विशेष । बिना कुमति बढ़ते नहीं, क्रोध, काम, संक्लेश ।' सुबुद्धि अपना और दूसरों का कल्याण करती है, जबकि दुर्बुद्धि दूसरों का सर्वनाश करती है, अपना भी । भारतवर्ष के कई राजा इसी दुर्बुद्धि के शिकार हो गए थे। कन्नौज के राजा जयचन्द का इतिहास मेरे स्मृतिपट पर आ रहा है। दिल्ली का राज्य उन दिनों राजा पृथ्वीराज के हाथों में था। जयचन्द यद्यपि राजा पृथ्वीराज की मौसी का लड़का था । परन्तु दिल्ली का राज्य स्वयं हथियाने की दुर्बुद्धि ने राजा पृथ्वीराज के प्रति जयचन्द के मन में विरोध और विद्रोह की आग भड़का दी। इस पर जयचन्द की पुत्री संयुक्ता के पृथ्वीराज द्वारा किये गए अपहरण ने तो जलती हुई आग में घी होमने का काम किया। राजा जयचन्द की दुर्बुद्धि को और कोई उपाय न सूझा, वह शहाबुद्दीन गौरी को भारत पर पुनः आक्रमण करने हेतु बुला लाया । जिस शहाबुद्दीन गौरी को राजा पृथ्वीराज ने एक बार नहीं, छह-छह बार हराकर खदेड़ दिया था, जो पृथ्वीराज की दया से जीवनदान पाकर अपने देश लौट गया था, उसी शहाबुद्दीन गौरी को राजा जयचन्द आमंत्रण और आश्वासन देकर दिल्ली पर चढ़ाई करने हेतु ले आया। सम्राट पृथ्वीराज को जब शहाबुद्दीन गौरी द्वारा दिल्ली पर चढ़ाई करने के समाचार मिले, तब संयुक्ता के मोहपाश में जकड़े हुए पृथ्वीराज ने बिलकुल ध्यान न दिया । लेकिन जब परिस्थिति एकदम प्रतिकूल होने लगी, तब पृथ्वीराज की मोहनिद्रा भंग हुई । लेकिन तब बहुत विलम्ब हो चुका था, अवसर हाथ से जा चुका था । फलतः राजा पृथ्वीराज की करारी हार हुई। दिल्ली का राज्य शहाबुद्दीन गौरी के हाथ में आ गया। तब से भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ गई। राजा जयचन्द को भी इस दुर्बुद्धि का भयंकर परिणाम भोगना पड़ा। उसके राज्य को भी १ चन्दन दोहावली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004012
Book TitleAnand Pravachan Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1980
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy