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आनन्द प्रवचन : भाग :
है। इसके कुपित हो जाने पर मन की शान्तवृत्ति, विवेकबुद्धि और सद्विचार को ठीकठीक रहना कठिन है। भूकम्प या तूफान आने पर नगर की जैसी उलट-पलट स्थिति हो जाती है, वैसी ही स्थिति कामविकारों के उफान आने पर शरीर की हो जाती है । कामवासना कुपित हो जाने पर व्यक्ति का अपना तो सर्वनाश होता ही है, उसके परिवार एवं वंश को भी उसका भयंकर कुफल भोगना पड़ता है। एक ऐतिहासिक उदाहरण लीजिए
__उन दिनों अणहिलपुर पाटण का राजा करणघेला था। वह कामवासना में अन्धा होकर किसी भी सुन्दर स्त्री को नहीं छोड़ता था। एक दिन करणघेला की कुदृष्टि अपने राज्य के दीवान माधव की रूपवती स्त्री रूपसुन्दरी पर पड़ी। उसका यौवन से मदमाता शरीर, अंगोपांगों का सौष्ठव एवं अद्भुत रूप देखकर करणघेला उस पर मोहित हो गया। वह कामविह्वल होकर उसे पाने के लिए दाँवपेच लगाने लगा । काम-कुपित करणघेला ने काम के नशे में चूर होकर एक दिन माधव को बुलाकर अपने राज्य के किसी कार्यवश परदेश भेज दिया । इस प्रकार रास्ता साफकर करणघेला ने रूपसुन्दरी को अपने अन्तःपुर में जबर्दस्ती उठा लाने के लिए सशस्त्र टुकड़ी भेजी। टुकड़ी ज्यों ही माधव के यहाँ पहुँची, उसे माधव के छोटे भाई केशव ने रोक दिया । अतः केशव के साथ काफी देर तक टुकड़ी की झपट हुई, इसमें केशव का देहान्त हो गया। अतः रूपसुन्दरी को जबरन उठाकर वह टुकड़ी करणघेला के अन्तःपुर में ले आई। उधर मृत केशव का अग्निसंस्कार करने के लिए उसके जातिभाई शमशान में ले गये।
इधर राज्य-कार्य सम्पन्न करके माधव जब वापस लौटा और नगर के बाहर ही उसे अपने छोटे भाई केशव की मृत्यु और अपनी पत्नी के अपहरण का समाचार मिला तो उसके अन्तर् में वैराग्नि भभक उठी । उसके अंग-अंग में क्रोध व्याप्त हो गया । वह आवेश ही आवेश में वहीं से दिल्ली की ओर रवाना हुआ। दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन से मिला । अलाउद्दीन को अपने पाटण का राज्य दिलाने का प्रलोभन दिया। अलाउद्दीन तो इसी फिराक में था । उसने इस मौके से लाभ उठाने के लिए अपने छोटे भाई को विशाल सेना लेकर माधव के साथ पाटण पर चढ़ाई करने भेजा। एकाएक गुजरात पर मुस्लिम सेना छा गई। गुजरात के कोनेकोने में कहर बरस उठा । चारों ओर भयंकर लूटपाट एवं कत्लेआम होने लगा। विशाल सेना के सामने टिकने की कामान्ध करणघेला में कहाँ हिम्मत थी । वह अपनी पुत्री देवलदेवी को लेकर भाग गया। पाटण अनाथ हो गया । करणघेला की रूपवती रानी कैलादेवी मुस्लिम सेना के हाथ में आ गई । उसने उसका अपहरण करके बादशाह अलाउद्दीन की सेवा में दिल्ली भेज दिया। करणघेला ने जो अत्याचार माधव की पत्नी रूपसुन्दरी पर किया था, उसी की प्रतिक्रिया के रूप में मुस्लिम बादशाह अलाउद्दीन ने उसकी पत्नी कैलादेवी के साथ किया। करण की रानी को मुस्लिम बाद
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