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________________ कृतघ्न नर को मित्र छोड़ते २११ हमे अपनी सम्पत्ति एवं साधनों को मुक्तभाव से गाँव के दुष्काल पीड़ितों को देकर गाँव के ऋण से उऋण होने का प्रयत्न करना चाहिए ।" एक सदस्य ने प्रश्न किया- "सभी साधन दे देंगे तो हमारा परिवार कैसे जिंदा रहेगा ?" में वृद्ध पिता ने कहा - " अगर हम गाँव के लोगों को जिंदा रखेंगे तो हम भी जिंदा रह सकेंगे, अन्यथा सब कुछ गँवाने की नौबत आजाएगी ।" परिवार के सभी लोगों को यह निश्चय ठीक लगा। उसी शाम को वृद्ध व्यापारी ने ग्रामवासियों को एकत्रित किया और कहा - " इस समय गाँव-गाँव भुखमरी, चोरी और लूटपाट हो रही है । हमारा गाँव भी उन अनर्थों से बच नहीं सकता । अभी हमें चार मास निकालने हैं । अगर अगले वर्ष अच्छी वर्षा हुई तो हम सब बच जाएँगे । मैं गाँव का अन्नपानी खाकर ही बड़ा हुआ हूँ । इसलिए कृतज्ञता के नाते मैं इन चार महीनों को सुख से व्यतीत करने हेतु आप सब सहमत हों तो एक उपाय सबने एक स्वर से कहा - " सेठ साहब ! आप जो होगा । हम लोग दुष्काल से तंग आगए हैं । आप तो हमारे प्रति आपकी हितबुद्धि जौर शुभाकांक्षा है ।" 1 बताऊँ ।” व्यापारी ने कहा - " तो सुनो, मेरे पास एक हजार मन अनाज भरा हुआ है । अपने परिवार के निर्वाह के लिए मुझे सिर्फ ६० मन अनाज चाहिए। अगले वर्ष सारे गाँव के किसानों की बुवाई के लिए २०० मन अनाज बीज के रूप में सुरक्षित रख लेते हैं । बाकी का सारा अनाज आप सब लोग आपस में बाँट लीजिए । ध्यान रहे, आपको चार महीने इसी अनाज से चलाने हैं। चार महीने सब जी जाएँगे । बाद में वर्षा हुई तो आनन्द हो जाएगा ।" कुछ कहेंगे, हमें मंजूर माता-पिता हैं । गाँव के गाँव के सब लोगों ने बड़ी प्रसन्नता से यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया । इस प्रकार गाँव के लोगों में अन्न वितरण से गाँव में शान्ति स्थापित होगई, वृद्ध व्यापारी का गाँव के प्रति जो ऋण था, वह भी कुछ अंशों में उतरा । दुःख के चार मास आनन्द से कट गए । बाहर और अन्दर का खतरा भी न रहा । सबको खाने के लिए अनाज मिल गया । बन्धुओ ! यह है, गाँव के प्रति एक व्यापारी की कृतज्ञता का ज्वलन्त उदाहरण ! अगर वह व्यापारी गाँव के प्रति कृतघ्नता का परिचय देता तो उसके परिबार की तथा गाँव की क्या हालत होती ? यह आप स्वयं समझ सकते हैं । बार किसी कारखाने या मिल के मजदूरों में अपने कारखाने या मिल के प्रति कृतज्ञता की भावना नहीं होती, तब क्या नतीजा होता है ? उस मिल में हड़ताल, बंद या तोड़फोड़ के कारण उत्पादन ठप्प हो जाता है, आय नहीं होती तो आखिर उसे बंद करना पड़ता है । बताइए मिल या कारखाने के बंद हो जाने पर उससे मजदूरों की जो रोजी चलती थी, वह तो बन्द हो ही जाती है न आजकल राज ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004012
Book TitleAnand Pravachan Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1980
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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