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आनन्द प्रवचन : भाग ८
जैसा हूँ, वैसा ही रहूँगा।" कुछ ही दिनों में आलोचकों ने उनकी आलोचना करना छोड़ दिया।
कितना सुन्दर उपाय है-निन्दा बन्द कराने का ? क्षान्ति मनोभूमि का तितिक्षायुक्त बनाना
जीवन में सभी तरह के अवसर आते हैं। सीधी पगडंडी भी मिलती हैं, प्रशस्त राजपथ भी और ऊबड़खाबड़ चट्टानें भी। नदी-नाले भी मिलते हैं, फूलों से अधिक कांटे मिलते हैं। इन सबमें होकर आगे बढ़ते जाने का एक ही उपाय हैधैर्यपूर्वक सहन करना ।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करते समय प्रतिकूलताएँ तो उपस्थित होती ही हैं । बना-बनाया निष्कंटक राजमार्ग कभी किसी को नहीं मिला। परन्तु प्रतिकूलताएँ उपस्थित होने पर सहिष्णु न बनकर विक्षुब्ध हो उठना, चट्टानों से सर टकराने, नदी में कूद पड़ने या कांटों को पैरों से कुचलने जैसे ही मूर्खता है। इससे स्वयं की हानि तो होती ही है, लक्ष्य तक पहुँचने में भी कुछ मदद नहीं मिलती। एक उर्दू शायर फरह की पंक्तियाँ बड़ी प्रेरणादायक हैं, इस सम्बन्ध में. हर हाल में खुश रहना, खुश रह के अलम' सहना ।
इक चीज जमाने में फरहत की भी सस्ती है। संत तुकाराम अपने प्रारम्भिक जीवन में जब अत्यन्त अभावग्रस्त हो गए तो उन्होंने लिखा-'भगवन् ! अच्छा ही हुआ, जो मेरा दिवाला निकल गया। दुष्काल पड़ा, यह भी ठीक हुआ । स्त्री तथा पुत्र भोजन के अभाव में मर गए और मैं भी हर तरह से दुर्दशा भोग रहा हूँ, यह भी ठीक ही हुआ। संसार में अपमानित हुआ, यह भी अच्छा हुआ । गाय, बैल तथा धन सब चला गया, यह भी अच्छा ही है । लोकलज्जा भी जाती रही यह भी ठीक है। क्योंकि इन्हीं सब बातों के फलस्वरूप तो आपकी मधुर, प्रेरणाप्रद, शान्तिपूर्ण गोद मुझे मिली है ।
__ मानसिक दृष्टि से दुर्बल और भावावेश में बहने वाले व्यक्ति इन छोटी-छोटी प्रतिकूलताओं में अपना सन्तुलन खो बैठते हैं और परेशानी से ऐसे बौखला उठते हैं कि उनका मस्तिष्क विक्षिप्त और उद्विग्न होकर ऐसी विपन्न हालत में पहुँच जाता है कि वे किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। विक्षोभ की स्थिति में उठाए गए कदम या लिये गए निर्णय आमतौर पर ऐसे होते हैं, जिनसे विपत्ति से निकलने का मार्ग नहीं मिलता, उलटे कठिनाइयों के और अधिक गहरे दलदल में फँस जाने का खतरा उपस्थित हो जाता है। ऐसे समय में कई लोग घर छोड़कर भाग निकलने, आत्महत्या कर लेने या कपड़े रंगा कर बाबाजी हो जाने जैसी कुछ भयंकर गलतियाँ कर बैठते
१ अलम = वेदना, दुःख।
२ फरहत हर्ष, खुशी, कवि का उपनाम भी है ।
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