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आनन्द प्रवचन : भाग ८
इसीलिए दुनिया में जितने भी सत्ववान नर-नारी हुए हैं, वे धर्म पर दृढ़ श्रद्धा रख कर संकटों, आफतों और कष्टों से जूझे हैं । अन्त में, वे धर्म पर अविचल रहकर जीवन में विजयी हुए हैं। उनके जीवन का मूलमन्त्र यही रहा है
धर्म पर डट जाना, है बड़ी बात यही ॥ ध्रुव ॥ धर्म को मेघरथराय निभाया, जिन्हों की शरण कबूतर आया । भील को काट दिया तन सारा, बने तो कट जाना || है बड़ी बात ॥ १ ॥ धर्म को जाना हरिचन्द्र दानी, जिन्होंने बेचे पुत्र और रानी । भरा है जाय नीच घर पानी, बने तो बिक जाना, है बड़ी बात ॥ २ ॥ धर्म को जाना श्री प्रल्हाद, जलाया अग्नि में जल्लाद । पिता ने किया खड्ग से बार, बने तो कट जाना । है बड़ी बात ॥ ३ ॥ धर्म को गजसुकुमार ने धारा, सोमल ने शीश धरा अंगारा । मस्तक सीझ गया सारा, बने तो सिक जाना, है बड़ी बात ॥ ४ ॥
इसीलिए गौतमकुलक में नौवां जीवन सूत्र बताया है— ते सन्तिणो जे न चलति धम्मं - बन्धुओ ! आप भी सत्वशाली बनकर अपने धर्म पर अडिग रहें । संकटों विघ्न-बाधाओं को खेल समझ कर खिलाड़ी की तरह खेल खेलें । दुनिया की कोई ताकत नहीं कि आप फिसलना या गिरना न चाहें तो धर्म से डिगा दे या गिरा दें । चाहिए आपमें दृढ़ता, सहनशीलता, धैर्य, निर्भयता और साहस !
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