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सज्जन होते समय-पारखी
धर्मप्रेमी बन्धुओ !
____ आज मैं एक विशिष्ट जीवन के विषय में आपके सामने चर्चा करूंगा, वह है -समय-विवेकी जीवन । यह गौतम कुलक का छठा जीवन सूत्र है।
दुर्जन, जन और सज्जन इस संसार में कुछ लोग दुर्जन या मूर्खजन होते हैं, वे मानव-जीवन में समय की कोई कीमत नहीं समझते । वे अपना समय या तो दुर्व्यसनों में खोते हैं. या वे इधर-उधर की निन्दा, चुगली, लड़ाई-झगड़ों में समय बर्बाद करते हैं, या फिर आलस्य और निद्रा में वे अपना अमूल्य वक्त नष्ट कर देते हैं। इसीलिए नीति का एक प्राचीन श्लोक है
ज्ञानध्यान-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ॥ 'बुद्धिमानों का समय ज्ञान और ध्यान के विनोद में व्यतीत होता है, जबकि मूों का समय या तो व्यसनों में बीतता है, या फिर नींद, आलस्य और कलह में।
मूर्ख व्यक्ति समय की कीमत जानते ही नहीं, इसलिए वे फिजूल के कामों में अपना अमूल्य समय बर्बाद कर देते हैं। खासतौर से वे अपना समय दूसरों को सताने, लड़ने-भिड़ने या चोरी करने आदि पर-पीड़ाजनक कार्यों में व्यतीत करते हैं।
परन्तु इससे कुछ ऊपर उठे हुए जन (साधारण मानव) होते हैं, वे समय की कीमत तो जानते हैं, पर उन्हें व्यर्थ समय खोने का पश्चात्ताप नहीं होता, तथा वे यह नहीं जानते कि समय को कैसे बिताया जाए ? जैसे किसी व्यक्ति के पास धन तो बहुत हो, परन्तु वह यह जानता हो कि धन का सद्व्यय कैसे किया जाए, वैसे ही साधारण मानव यह नहीं जानते कि समय का सद्व्यय कैसे किया जाए ? ऐसे ही लोगों के सम्बन्ध में एक पाश्चात्य विचारक काउली (Cowley) ने कहा है- .
"There is no saying shocks me so much, as that which, I hear very often-that a man does not know how to pass his time."
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