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________________ २६८ आनन्द प्रवचन : सातवाँ भाग है कि उसकी मृत्यु युवावस्था में ही हो जाती है अतः वृद्धावस्था का दुःख नहीं भुगतना पड़ता।" वैद्यजी की यह बात सुनते ही लड़के को तो मानो काठ मार गया। कुछ समय स्तब्ध रहकर वह बोला-"महात्माजी ! मैं आपकी चतुराई एवं बुद्धिमानी का कायल हो गया हूँ कि आपने कितने सुन्दर ढंग से मुझे व्यसनों की भयंकरता तथा उनसे होने वाले दुष्परिणामों के विषय में समझाया है । आज से मैं सभी व्यसनों का सर्वथा त्याग करता हूँ।" महात्माजी लड़के की बात सुनकर बड़े सन्तुष्ट हुए और आशीर्वाद देते हुए उसे दवा दी। जिसका सेवन करके वह कुछ दिनों में ही पूर्ण स्वस्थ हो गया। बन्धुओ ! सन्त-पुरुष इस प्रकार भी लोगों को सत्पथ पर लाते हैं। जैसा कि अभी मैंने कहा था साधु-पुरुष कुमार्गगामी व्यक्तियों को स्नेह से उपदेश देते हुए समझाते हैं, कभी भर्त्सना करके भी सुमार्ग पर लाने का प्रयत्न करते हैं और आवश्यकता होने पर बुद्धिमानी से भी लोगों के दिल बदलने की कोशिश करते हैं । यह सब वे पूर्ण निस्वार्थता एवं करुणा की भावना से करते हैं। कोई भी लोभ, लालच या स्वार्थ उनके हृदय में नहीं होता। इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है ___ "कुज्जा साहूहि संथवं ।" अर्थात्-हमेशा साधुजनों के साथ ही संस्तव अर्थात् सम्पर्क रखना चाहिए । वस्तुतः साधु-पुरुष ही मानव को लोक के सच्चे स्वरूप का दिग्दर्शन कराते हैं, इनमें प्राप्त होने वाले दुःखों के विषय में बताते हैं तथा उसे इस संसार से यानी तीनों लोकों से ऊपर मुक्तिधाम में पहुँचाने का तप, त्याग, साधना एवं धर्ममय मार्ग सुझाते हैं। ___पं० दौलतराम जी ने भी लोक भावना का चिन्तन किस प्रकार करना चाहिए यह बताते हुए कहा है किनहू न करौ न धरै को; षड्द्रव्यमयी न हरे को। सो लोक मांहि बिन समंता, दुख सहै जीव नित भ्रमता ॥ भव्य पुरुष को विचार करना चाहिए कि-"इस लोक को जैसा कि अन्य मतों में कहा जाता है, ब्रह्मा आदि किसी ने नहीं बनाया है, शेषनाग आदि ने अपने ऊपर टिका भी नहीं रखा है तथा महादेव आदि किसी के द्वारा नष्ट भी नहीं किया जा सकता है।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004010
Book TitleAnand Pravachan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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