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१४६ आनन्द प्रवचन : सातवाँ भाग
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के व्यक्ति भी एक-दूसरे को अपना आत्मीय एवं कुटुम्बी समझते थे । कोई भी दूसरे को ठगने की, धोखा देने की या किसी की सम्पत्ति को हड़पने की चेष्टा नहीं करता था; जैसी चेष्टा आज प्रत्येक व्यक्ति करता रहता है । कारण उस समय यही था कि धर्म के प्रभाव से प्रत्येक व्यक्ति की नैतिक भावना भी बड़ी जबर्दस्त थी ।
किन्तु ज्यों-ज्यों समय बीतता गया है, लोगों की विचारधाराएँ भी बदलती गई हैं । दुर्भाग्य से इस देश पर विदेशियों का शासन बरसों रहा, जिनमें न धर्म की गम्भीरता थी और न ही भारत जैसा अध्यात्मवाद था । उनका सिद्धान्त केवल 'जीवन का सुख प्राप्त करो तथा मौज से रहो' यही था । भोग-लिप्सा, फैशनपरस्ती तथा अनात्मवाद की लहरों में बहने वाले उन विदेशियों का प्रभाव भारत के व्यक्तियों पर भी पड़ा और वे भी धर्म से उदासीन हो गये । परिणाम यही हुआ कि धर्म - भावना के अभाव में नैतिकता का लोप होने लगा तथा नास्तिकता के कारण परलोक से डरने वाले भारतीय भी एक दूसरे को ठगने में, नीचा दिखाने में, धोखा देने में और परिग्रह को असाधारण रूप से बढ़ाने में लग गये । यही कारण है कि आज चारों तरफ अशान्ति का एवं व्याकुलता का वातावरण छाया हुआ है । चन्द व्यक्ति, जिन्होंने खूब धन एकत्र कर लिया है वे तो गुलछर्रे उड़ाते हैं, किन्तु बाकी सारी जनता त्राहि-त्राहि कर रही है ।
यह सब धर्म एवं नैतिकता की कमी के कारण ही हुआ है । खेद की बात तो यह है कि विरले महापुरुषों को छोड़कर आज कोई भी अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि आत्म-कल्याण की भावना का तो मानो लोप ही हो गया है । धनी लोग भोग-विलास में डूबे रहकर आत्मा का भान भूल गये हैं और दरिद्र व्यक्ति धन के अभाव में आर्त-ध्यान करते रहते हैं । कोई भी यह नहीं सोचता कि हमारा सच्चा आत्मधन क्या है और हमें यह मानव-जीवन पाकर इससे कौनसा लाभ उठाना है । और तो क्या अपने-आपको धर्मात्मा मानने वाले व्यक्ति भी आपस में वैमनस्य रखते हैं तथा स्वयं को अच्छा और दूसरों को बुरा समझते हैं ।
यह सब देखकर मन को बड़ा क्लेश और दुःख होता है । लगता है कि आज हमारे बीच से मानो धर्म का सच्चा रूप तो लुप्त ही हो गया है, रह गया है केवल कलेवर । किन्तु उसको पकड़े रहने से क्या होगा ? खाली घड़ा हाथ में लिये रहने से जिस प्रकार व्यक्ति की प्यास नहीं मिटती, उसी प्रकार धर्म का नाम पकड़े रहने मात्र से जीवन की उन्नति या आत्मा का उद्धार कैसे हो सकता है ?
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