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समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता । वह तेरे और जिस प्रकार चक्की के दो पाटों के बीच में उसी प्रकार इस जन्म और मरण रूपी चक्की के नष्ट हो जाएगा और पश्चात्ताप करता हुआ इस लोक से प्रयाण करेगा ।"
आनन्द प्रवचन | छठा भाग
जागने की भी परवाह नहीं करेगा आया हुआ प्रत्येक दाना पिसता है, पाटों में फंसा हुआ तू भी एक दिन
कवि का कथन अक्षरशः यथार्थ है । जीवन का कोई ठिकाना नहीं है कि वह कब समाप्त हो जाएगा । अतः प्रत्येक मानव को बिना एक क्षण भी व्यर्थ गँवाए आत्मकल्याण का प्रयत्न करना चाहिए । जो भव्य प्राणी ऐसा करेंगे वे इहलोक एवं परलोक दोनों में सुखी बनेंगे ।
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