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आनन्द प्रवचन | छठा भाग
"सूई के छेद में से ऊँट निकल सकता है, किन्तु धनिकों को स्वर्ग की प्राप्ति नहीं हो सकती।" इस विषय में एक बड़ी सुन्दर एवं व्यंगात्मक लघु कथा कही जाती है। स्वर्ग में भी पक्षपात होता है क्या ?
एक किसान था । वह बड़ा भोला-भाला एवं गरीब था। अपनी थोड़ी-सी जमीन में वह खेती करता और उसके द्वारा जो उपज होती थी, उससे अपनी तथा अपने परिवार की उदर-पूर्ति करता था। जीवन में वह कभी झूठ नहीं बोला, किसी का दिल नहीं दुखाया।
- इसके परिणामस्वरूप मरने के पश्चात् वह स्वर्ग में जा पहुंचा। जब वह स्वर्ग के दरवाजे के समीप पहँचा तो उसने देखा कि एक धनी व्यक्ति भी वहाँ उससे पहले पहुंच चुका है और उसका वहाँ बड़े बाजे-गाजे से स्वागत किया जा रहा है । धनिक व्यक्ति जब अन्दर चला गया तो कुछ समय के लिए स्वर्ग का दरवाजा बन्द हो गया। पर कुछ ही देर बाद दरवाजा पुनः खुला और उस किसान को अन्दर बुलाया गया।
किसान सोच रहा था कि स्वर्ग में आने वाले वाले प्रत्येक व्यक्ति का उस धनिक के समान ही स्वागत होता है तथा बाजे बजते हैं । किन्तु जब उसे अन्दर बुलाया गया तो वह बड़े आश्चर्य में पड़ गया कि वहाँ चारों ओर पूर्ण रूप से सन्नाटा छाया हुआ था।
यह देखकर उस भोले किसान ने स्वर्ग के द्वारपाल से डरते हुए पूछा"भाई ! यह क्या बात है ? इस स्वर्ग में वह धनी व्यक्ति आया था तो बाजों-गाजों से अन्दर ले जाया गया और मैं भी जबकि इसी स्वर्ग में आया हूं तो मेरा किसी ने स्वागत नहीं किया । क्या मेरा आना यहाँ किसी को अच्छा नहीं लगा ?"
द्वारपाल किसान की बात सुनकर बड़े स्नेह से बोला-"नहीं भाई ! यहाँ स्वर्ग में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं होता । यहाँ पर तुम भी अपार सुख प्राप्त करोगे जैसा कि वह धनिक व्यक्ति पाएगा। पर स्वागत के विषय में बात यह है कि तुम्हारे जैसे निष्कपट, ईमानदार और सरल व्यक्ति तो यहाँ सहज ही आ सकते हैं । अतः प्रतिदिन अनेक आते हैं। किन्तु उस धनवान जैसे व्यक्ति तो अनेक वर्षों बाद ही कभी दिखाई पड़ते हैं । अतः स्वर्ग के प्राणियों को खुशी होती है कि वर्षों बाद ही सही पर एक धनी व्यक्ति तो कुछ शुभ कर्म करके यहां आया। इसलिए उसके स्वागत में बाजे बजते हैं।"
किसान द्वारपाल की यह बात सुनकर बड़ा चकित हुआ पर उसे सब बात समझ आ जाने से बड़ा संतोष भी हुआ ।
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