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क्यों डूबे मझधार ?
२५५ ___ जो भव्य प्राणी बलवान एवं पूर्ण समर्थ होने पर भी अपराधी पर क्रोध न करके उसे क्षमा करते हैं तथा प्रति पल समता के सागर में अवगाहन करते रहते हैं, वे ही भव-सागर को शीघ्र पार कर सकते हैं।"
इसीलिए हिन्दी के कवि ने कहा है कि--'तू मझधार में क्यों डूबा जा रहा है, जबकि क्षमा के सहारे से इस भवसागर को सहज ही पार कर सकता है।' आगे भी अपने पद्य में कवि ने भव-समुद्र को पार करने के उपाय बताये हैं, और वे इस प्रकार
कर मन धन से पर उपकारा, क्रोध, लोभ तज दे अहंकारा ।
धर्म पकड़ तलवार हाथ में, यम से लड़ने को-क्षमा है तेरे ॥
कहा है- 'अगर मानव-जन्म प्राप्त कर लिया है और इसका लाभ उठाना है तो तन, मन और धन से परोपकार कर तथा क्रोध, मान, माया एवं लोभ इन कषायों का सर्वथा त्याग कर दे।'
यहाँ एक बात ध्यान में रखने की है कि मानव का मन बड़ा चंचल एवं दुराग्रही होता है और ऐसी स्थिति में वह एकाएक संयमित नहीं हो पाता। हमारे पास ऐसे अनेकों व्यक्ति आते हैं जो कहते हैं- "महाराज ! क्या करें, मन को वश में करने की कोशिश करते हैं, किन्तु सफलता नहीं मिलती । कभी क्रोध न करने का नियम ले लेते हैं तो अभिमान आ जाता है और अभिमान को त्यागने जाते हैं तो लोभ मन पर आक्रमण कर देता है । इस प्रकार कोई न कोई कषाय तो हमेशा मन को घेरे ही रहता है । अब आप ही बताइये कि किस प्रकार इन कषायों का त्याग करें ? कभी कोई और कभी कोई प्रबल हो ही उठता है।"
बंधुओ, मन की ऐसी स्थिति प्रायः सभी व्यक्तियों की होती है । यद्यपि वे मन के दुर्गुणों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं, किन्तु वे दुर्गुण इतनी अधिक संख्या में होते हैं कि जब व्यक्ति एक दुर्गुण को भगाने जाता है तो दूसरी ओर से अन्य कोई दुर्गुण या कषाय मन पर कब्जा कर लेता है । यह समस्या सभी के लिए है। यद्यपि दृढ़ चित्त वाले साधक या मुनि तो आत्मा के इन सभी शत्रुओं को एक साथ परास्त कर देते हैं तथा अपने मन के दुर्ग-द्वार पर संयम का ऐसा मजबूत ताला जड़ देते हैं कि कोई भी दुर्गुण या कषाय लाख प्रयत्न करने पर भी उसमें प्रविष्ट नहीं हो पाता। किन्तु कमजोर मन वाले व्यक्ति के लिए ऐसा करना संभव नहीं होता। पर उसके लिए भी उपाय है, क्योंकि संसार की प्रत्येक समस्या का कोई न कोई हल तो होता ही है।
तो कमजोर हृदय वाले व्यक्ति को कुछ विवेक एवं चतुराई से आत्मा के इन शत्रुओं को जीतना चाहिए । यह किस प्रकार संभव हो सकता है, इस विषय में मैं एक उदाहरण आपके सामने रखता हूँ।
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