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आनन्द प्रवचन | छठा भाग
सौन्दर्य के अभिमान से भरी रहती थी। मंझली रानी बुद्धिमान, शीलवान एवं पति पर अटूट स्नेह रखने वाली थी और सबसे छोटी रानी बड़ी चालाक थी तथा अपनी सौतों से ईर्ष्या रखती हुई राजा को केवल अपने ही प्रेम-पाश में बाँधे रखने के प्रयत्न में रहती थी।
___ एक बार बादशाह अकबर ने राजा मानसिंह को अफगानों के अचानक धावा कर देने से उनका मुकाबला करने के लिए सेना सहित भेज दिया। मानसिंह ने भी शत्रु का डटकर मुकाबला किया और उसके छक्के छुड़ाकर विजय प्राप्त की । उनके लौटने पर नगर में उनका शानदार स्वागत किया गया।
विजय का सेहरा बाँधे हुए राजा अपने महल में लौटे और उस दिन छोटी रानी के यहाँ पहुँच गये । रानी बड़ी प्रसन्न हुई और उसने राजा की आवभगत की । पर कुछ समय बाद उसने मौका देखकर राजा से कहा- हुजूर, आपकी मंझली रानी आपकी अनुपस्थिति में पीहर जाकर आई हैं। आपकी आज्ञा के बिना इस प्रकार चला जाना कितना बड़ा अपराध है । क्या इस अपराध का आप दण्ड नहीं देंगे ?"
"क्यों नहीं दूंगा दण्ड ? जरूर दूँगा आखिर रानी ने समझ क्या रखा है।" कहकर थके हुए राजा सो गये और प्रात:काल उठकर अपने राज्य-कार्य में लगे । किन्तु जब शाम हुई और वे मंझली रानी के भवन में पहुँचे तो उन्हें पिछले दिन की हुई छोटी रानी की शिकायत का ध्यान आया और वे क्रोध में भरकर रानी से बोले
"रानी ! तुम हमारी इजाजत के बिना ही अपने पीहर चली गईं ? तुमने राज्य-मर्यादा का उल्लंघन करके भारी अपराध किया है और इसके दण्डस्वरूप में तुम्हें देश-निकाला देता हूँ।"
___ मंझली रानी यह सुनकर हक्की-बक्की रह गई पर हिम्मत करके बोली"महाराज ! यह सत्य है कि मुझे आपकी आज्ञा के बिना नगर से बाहर कदम भी नहीं रखना चाहिए। किन्तु मेरे पिताजी सख्त बीमार हो गये थे और उन्होंने मुझे अविलम्ब बुलाने के लिए सन्देश भेजा था अतः मैं मायके चली गई थी। फिर भी मैं अपना अपराध कुबूल करती हूँ और आप से क्षमा याचना करती हूँ।"
राजा मानसिंह उस समय नशे में धुत्त हो रहे थे अतः रानी की किसी बात पर ध्यान न देते हुए उन्होंने कह दिया- 'मैं तुम्हारी कोई भी बात सुनना नहीं चाहता बस, तुम अपनी इच्छानुसार अपने पसन्द की कोई भी एक चीज लेकर मेरे नगर से चली जाओ।"
इतना कहते-कहते वे नशे से बेसुध होकर पलंग पर गिर पड़े और पूर्णतया अचेत हो गये । रानी शोकविह्वल हो रही थी पर उसका विवेक और पति के प्रति
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