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२३ शत्रु से मित्रता रखो! २४ शरीर को कितने वस्त्र चाहिए २५ चिन्ता को चित्त से हटाइये २६ प्रबल प्रलोभन २७ तीन लोक की संपदा रही शील में आन २८ साधु तो रमता भला दाग न लागे कोय २६ महल हो या मसान....? ३० मिलें कब ऐसे गुरु ज्ञानी ३१ स्वागत है पर्वराज! ३२ नीके दिन बीते जाते हैं ३३ सच्चे महाजन बनो !
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