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________________ विषय-सूची 6 ६४ १२० १३० १४१ १५२ १ कल्याणकारिणी क्रिया २ पुरुषार्थ से सिद्धि ३ निद्रा त्यागो ! ४ अल्पभोजन और ज्ञानार्जन ५ मौन की महिमा ६ सत्संगति दुर्लभ संसारा ७ ज्ञान प्राप्ति का साधन : विनय ८ तपो हि परमं श्रेयः ६ असार संसार १० स्वाध्याय : परम तप ११ दीप से दीप जलाओ ! १२ इन्द्रियों को सही दिशा बताओ। १३ आत्म-शुद्धि का मार्ग : चारित्र १४ तपश्चरण किसलिए? १५ विनय का सुफल १६ सत्य का अपूर्व बल १७ आत्म-साधना का मार्ग १८ मुक्ति का मूल : श्रद्धा १६ समय का मूल्य आँको ! २० मानव जीवन की सफलता २१ समय कम : मंजिल दूर २२ समय से पहले चेतो ! २३ वमन की वाञ्छा मत करो २४ रुकोमत ! किनारा समीप है २५ काँटों से बचकर चलो ! २६ सुनकर हृदयंगम करो ! २७ जीवन को नियन्त्रण में रखो ! २८ विजयादशमी को धर्ममय बनाओ ! १७६ १६३ २०४ २१७ २२६ २३६ २५२ २६१ २७८ २६१ ३०१ ३१४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004006
Book TitleAnand Pravachan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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