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आनन्द प्रवचन : तृतीय भाग
कुछ दिन इसी प्रकार निकल गए। शिष्य बड़ी लगन से गुरुजी की सेवा करता रहा । एक दिन गुरुजी स्नान कर रहे थे और शिष्य उनकी पीठ को हाथ से मसल-मसल कर धो रहा था। अचानक वह बोल पड़ा-"मन्दिर तो बड़ा है पर इसमें भगवान कहीं दिखाई नहीं देते ।" ।
गुरु ने ये शब्द सुने तो उन्होंने अपने लिए ही यह बात समझी और अपने शिष्य पर अत्यन्त क्रोधित हुए। बोले-"तू कसा नमकहराम है ? मेरे पास वर्षों से रहकर मेरा ही अपमान कर रहा है ? आज ही मेरे आश्रम से निकल जा।" कहने के साथ-साथ ही उन्होंने उसे आश्रम से निकाल दिया।
शिष्य गुरु के द्वारा निकाल दिये जाने पर भी पूर्ववत् मुस्कराता रहा और आश्रम के बाहर ही झोंपड़ी बनाकर उसमें रहने लगा। किन्तु वह जब तब आकर अपने गुरु के दर्शन कर जाता था।
इसी प्रकार एक दिन वह गुरुजी के दर्शनार्थ आया। उसने देखा गुरुजी तो अपने सामने कोई ग्रन्थ रखे उसका पाठ कर रहे थे और एक मक्खी खिड़की के कांच से बाहर का दृश्य देखती हुई काँच से बार-बार अपने सिर को टक्कर मार-मार कर अपने आपको परेशान कर रही है ।
क्षण भर शिष्य गुरुजी के पीछे खड़ा रहा और बोला-' Stop and see back." अर्थात्-ठहरो और पीछे देखो!
गुरुजी अचानक भाए हुए शिष्य की बात सुनकर पुनः चमत्कृत हुए पर क्रोधित न होकर विचार करने लगे-"आखिर इसने ऐसी बात किस प्रकार कह दी है ? क्षण-भर चुप रहकर उन्होंने पूछा- "तूने यह बात कैसे कही ?"
शिष्य बोला-"गुरुदेव ! यह मक्खी कांच में से बाहर जाने के लिये परेशान हो रही है पर यह नहीं जानतो कि मेरा मार्ग यह नहीं है, मैं जहाँ से आई हैं वहीं मुझे लौटना है।"
गुरुजी शिष्य की बात समझ गये और बोले-"वत्स; मैं अब तक भ्रम में था कि तुमने इतने वर्षों में भी कुछ सीखा नहीं। पर मैं समझता हूँ कि तुमने जो सीख लिया है और जान लिया है वह अब तक और कोई भी मेरा शिष्य नहीं सीख पाया। तुमने मुझे भी आज सही मार्ग बता दिया है।
बन्धुओ, आप भी समझ गए होंगे कि शिष्य की बात में क्या रहस्य था ? वह यही बताना चाहता था कि शास्त्रों के स्वाध्याय और अनेक ग्रन्थों के पठन-पाठन में कुछ नहीं होने वाला है । कर्मों से छुटकारा तो तभी मिलेगा जबकि इन सबसे मुह मोड़कर आत्मा में झांका जायेगा या आत्मा में रमण किया जायेगा। जिस प्रकार अपने ही घर में पहुंचने के लिए आप बाहर नहीं निकल जायेंगे तो आपका घर दूर से दूर होता जायेगा । इसी प्रकार आत्मा को शुद्ध और निर्मल बनाने के लिये बाह्य-क्रियाएँ करते रहने से कुछ लाभ
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