SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०१२ १०।११ १।११ २।८ भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक धरिय=धारण कर ४।९ दच्छमइ = दक्ष मति २१।१४ धरियउ= पकड़ कर दभु = दर्भ ७९ धाविवि = दौड़कर २१७ दय =दया १।१४ धूमरि=धूम्र २७७ दाण = दान १६१ दार-द्वार १९।१ पउत्तु =+ उक्त, कहा १११२ दारुपत्ति = काष्ठ पात्र १९।२, २२७ पउमरहुराउपद्मरथ नामका राजा ११५ दिक्खिय =दीक्षित १२।१४ पउंज = प्र+युज् ६॥३; २५७ दिजहु = दीजिए ३९ पएसि = प्रदेश में २।२ दिट्ट = देखा पक्ख = पक्ष २६९ दिट्ठांत = दृष्टान्त ११।११ पच्छइ = पश्चात्, बाद में ३९ दिढचित्त = दृढ़चित्त ४।९ पच्छिमिल्लु =पाछिला, पीछे का २।४ दिणम्मि = दिन में पच्छिलु = पाछिले, पीछे के १२ दिणि =दिन में १२२; ४।५; १६।४ पजय =(मन:-)पर्यय (ज्ञान) १११५ दिय=द्विज पडिभावंत = प्रति + आ + या दियंवर=दिगम्बर २।१२; २५।६ १७१८ दिवसेसरु = दिवसेश्वर, सूर्य १०५ पडिगाहिट = पडगाहा १५।१६ दिवायरु = दिवाकर २८.१४ पडिच्छा देता था १०३ दुच्चरिय = दुश्चरित्र २५।१३ पडिवण्णउ =स्वीकार किया २२१६ दुजणयण = दुर्जनजन १२।३ पढमणरय =प्रथम नरक २५।१० दुव्वयण =दुर्वचन २११११ पढमि = पढ्गा २०११ दुहाल = दुखभरा, बुरी स्थिति ७।९ पढवमि = पढ़ाऊँगा ३३ देवराय = देवराज ( रइधू के पढावियाई = पढ़ा दिया ॥१२ पितामह ) २८०१३ पढेसिपढ़ेगा २।१० दोदह =द्वादश ( वर्ष ) ११०९ पणविवि प्रणाम कर ३२ दंड = दण्ड, डण्डा २३४ पत्तापत्तहँ =पात्र-अपात्र का ७६ दंडेसइ =दण्ड देगा २५।४ पत्तालंवणु=पात्रता का अवदंसाविजइ = दिखला दीजिए ३८ लम्बन कर ४॥५ दंसाविवि = दिखलाकर ४१ पमाणिय प्रमाणित ३।१३ पयक्ख =प्रत्यक्ष २१।१६ भण=धन-सम्पत्ति १३।११ पयडमि = प्रकट करता हूँ १२ धण्ण =धान्य १३।११ पयडिय =प्रकटित ३१८ धम्मु धर्म १२।२ पयाउ = प्रताप १५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004003
Book TitleBhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1982
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy