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भद्रबाहु - चाणक्य- चन्द्रगुप्त कथानक
अवरण्ह = - अपराण्ह
२६।१२
३।७
अवसरि= अवसर अवहरिउ = अपहृत किया गया ९/२ अवहि = अवधि ( - ज्ञान) ११।५,२१।१२ भविश्य = अविरत २०।११ असणु = = अशन ( भोजन ) २०।११ असहंतें = सहन नहीं करते हुए २१।१२
असहिँ = खाने लगे
१७।६
असिउ = खा लिया
१७।२१
८२
असेसु = अशेष
१५/७
असोउ = अशोक (मगध सम्राट् ) ९।१३ असंक = अशंकित १७।१९ अहणिसु = अहर्निश २१।११; २२।४ अहय = अखण्डित, सभी, शीघ्र अहि = सर्प अहिहाण
२५
१० ६; ११।१०
२४६
=
=
अभिधान, नामके
आ
आउ आया
आउसि = आयुष्मान्
आगमणु = आगमन
भाढत्तइँ =
आणइ = लाने लगे
आणहु = ले आओ
आणा = आज्ञा
आणंद = आनन्द
भादण्ण = ग्रहण
आयम = आगम ( शास्त्र )
आयरिउ = आचार्य
= आचरण किया
आयरियड भाया = आया, आ पहुँचा आराहिय = आराधना की,
स्मरण किया
आरूढ = सवार
८९
३।२
१११९
२२२
१८।१३
१८ १
१९।१३
३ | १४; १०।१
२०११
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४|१०
१६।१०
१८४
१४।१५
२१।१४
१२८
आलोयणु = आलोचना
आवइ-हरणु = आपत्ति को हरण करने वाला
३।१४
आवयसय = सैकड़ों आपत्तियों को २१।२ आविवि : = आकर
४२
१७।१८
२०११४
२७ ३
आवंत = आ + या + शतृ
आणि = आसन पर
आसाय = आस्वादन
आसु = शीघ्र
२८
आहार = आहार ( पवित्र भोजन ) ३ । ११
आहास
३।७
आहंडलु = इन्द्र
२८।१८
अंचिज्ज = अर्चना,
२८।१०
अंतराय
१९२
अंतिमिल्लु
२६।१
=
आ + भाष्
पूजा
= अन्तराय, विघ्न
अन्तिम
इ
=
इक्कु = एक
इत्थु = यहाँ
इम = इस प्रकार
इय = इतना, इस प्रकार
इह = यहीं पर, इस संसार में
२०१०
उप्पण्ण = उत्पन्न
उप्परि
= ऊपर
१५।१८
१४/२; २३।१५
१।१७८७
२५।९
इहु = यह
इंति = आगमन, आते हैं। इंदुविमाणु = इन्द्रविमान
उ
उक्कंठिउ = उत्कण्ठित
१०/२
उज्झिउ =
२८ १
उत्तउ = = कहा
३।१५
उदर = उद् + ह्
१।१५, ३५
उद्दाल = आ + छिद = छीनकर ९१९
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१३; ११।१२
१।१३; ३५
२७।१२
१०१६
९।१२
९।१३
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