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________________ २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. ७. आस्तिक्य गुण ८. वात्सल्य गुण सम्यग्दर्शन के अतीचार तृतीय अध्याय सप्तव्यसनों के दोष व तत्त्याग निरूपण १. द्यूत व्यसन २. मांस भक्षण व्यसन ३. मद्यपान व्यसन ४. शिकार खेलना व्यसन ५. वेश्यासङ्ग व फल ६. चोरी का व्यसन व फल ७. परस्त्री सेवन व फल पञ्चपापों का स्वरूप निरूपण व पञ्चाणुव्रत १. हिंसा का स्वरूप व उसके भेद व त्याग २. असत्य का स्वरूप व सत्याणुव्रत ३. अचौर्य व्रत और चोरी के दोष ४. ब्रह्मचर्याणुव्रत और कामदोष ५. परिग्रह दोष व तत्त्यागाणुव्रत चारित्र के मूलव्रत निषेध का मूलव्रतों के अतिचार १-५. पञ्चोदुम्बरत्यागातिचार ६. मांसत्यागातिचार ७. मद्य त्याग के अतिचार ८. मधु त्याग के अतिचार सात व्यसनों के अतिचार १. जुआ त्याग व्रत में दोष २. वेश्या त्याग व्रत में दोष ३. चौर्य त्याग व्रत में दोष ४. शिकार त्याग व्रत में दोष ५. परस्त्री के सेवन त्याग व्रत के दोष ६-७. मद्य-मांस त्याग के अतिचार Jain Education International For Personal & Private Use Only XXI ७३ ७५ ८० ८२ ८४ ८६ ८८ ८९ ९० ९२ ९३ ९९ १०० १०२ १०३-१०४ १०५ १०७ १०८ १०९ १०९ ११० ११० ११२ ११३ ११३ ११४ ११९ www.jainelibrary.org
SR No.004002
Book TitleShravak Dharm Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaganmohanlal Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1997
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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