SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८ स्वयम्भूस्तोत्र-तत्त्वप्रदीपिका ग्रन्थमें भी उक्त आशयका उल्लेख नहीं मिलता है । इधर श्री पार्श्व जिन की इस बातसे तपस्वी क्रोधित हो गया कि इन्होंने मेरी तपस्यामें विघ्न उपस्थित कर दिया है। वह पूर्वभवोंका वैरी तो था ही, किन्तु इस घटनासे उसने श्री पार्श्व जिनके साथ और भी अधिक वैर बांध लिया। तथा कुछ कालके बाद वह मरकर गुणभद्राचार्यके अनुसार शम्बर नामक ज्योतिषी देव हुआ' किन्तु श्री वादिराज सूरिके अनुसार वह भूतानन्द नामक भवनवासी देव हआ।२। इसी प्रकार नाग-नागिनकी मृत्युके विषयमें भी मतभेद है । श्री वादिराजसूरिके अनुसार नाग-नागिनकी मृत्यु जलती हुई लकड़ीके अन्दर जल जानेसे हुई थी। किन्तु गुणभद्राचार्यके अनुसार पञ्चाग्नि तपमें लीन तपस्वीके द्वारा अग्निमें डालने के लिए लकड़ीको काटते समय उसमें बैठे हुए नाग-नागिनके दो टुकड़े हो जानेसे उनकी मृत्यु हुई थी, जलनेसे नहीं। इससे प्रतीत होता है कि नागनागिन की मृत्युके विषयमें प्राचीनकालमें दो प्रकारकी विचारधारा प्रचलित रही होगी। बृहत्फणामण्डलमण्डपेन यं स्फुरत्तडित्पिनरुचोपसर्गिणम् । जुगूह नागो धरणो धराधरं विरागसंध्यातडिदम्बुदो यथा ॥२॥ सामान्यार्थ-उपसर्गसे युक्त पार्श्वनाथको धरणेन्द्र नामक नागकुमार जातिके देवने नागका रूप धारण करके बिजलीके समान पीली कान्तिसे युक्त बड़े-बड़े १. सशल्यो मृतिमासाद्य शम्बरो ज्योतिषामरः । -उत्तरपुराण पर्व, ७३/११७ २. लक्ष्मीधाम श्रीजिनधर्मादपि बाह्यः कायक्लेशादायुरपाये स तपस्वी । देवो जातः ज्ञातिमयासीदपि नाम्ना भूतानन्दो भवनदेवेष्वसुरेषु ॥ -पार्श्वनाथचरित, १०/८८ ३. प्रहसितवदनाम्बुजस्तदुक्त्या भुवनगुरुभगवांस्तु तत्प्रतीत्यै । अदलयदनलार्धदग्धमेधः परिदृढमुष्टिपरस्वधेन तेन । -पार्श्वनाथचरित, १०/८३ ४. नागी नागश्च तच्छेदाद् द्विधाखण्डमुपागतौ । -उत्तरपुराण पर्व ७३/१०३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004001
Book TitleSwayambhustotra Tattvapradipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1993
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy