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________________ ( १८ ) श्री अर जिन स्तवन गुणस्तोकं सदुल्लङ्घ्य तद्बहुत्वकथा स्तुतिः । आनन्त्यात्ते गुणा वक्तुमशक्यास्त्वयि सा कथम् ॥ १॥ सामान्यार्थ हे अर जिन ! विद्यमान गुणोंकी अल्पताका उल्लंघन करके उनके बहुत्व ( अधिकता ) का कथन करना स्तुति कहलाती है । वह स्तुति आपमें किस प्रकार संभव है। क्योंकि आपमें अनन्त गुण होनेके कारण आपके समस्त गुणोंका कथन करना संभव नहीं है । विशेषार्थ-किसी व्यक्तिमें अल्प गुण विद्यमान हैं । कोई स्तुतिकर्ता विद्यमान गुणोंकी अल्पता पर कोई ध्यान न देकर उन गुणोंको बढ़ा-चढ़ा कर कहने लगता है । किसी व्यक्तिमें केवल एक गुण विद्यमान है। किन्तु स्तुति करनेवाला इस प्रकार बढ़ा चढ़ा कर कथन करता है जैसे उसमें सौ या हजार गुण विद्यमान हों । लोकमें इसका नाम स्तुति है। श्री अर जिनके विषय में इस प्रकार की स्तुति सम्भव नहीं है। क्योंकि उनमें अनन्त गुण विद्यमान हैं और उन अनन्त गुणोंका कथन किसी भी प्रकार सभव नहीं है। जब कोई स्तुति कर्ता उनके पूरे गुणोंका कथन कर ही नहीं सकता है तब उन्हें बढ़ा चढ़ा कर कहनेका तो कोई प्रश्न ही नहीं है। श्री अर जिनकी इस प्रकार की स्तुति किस प्रकार सम्भव है । अर्थात् उनकी ऐसी स्तुति किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है। तथापि ते मुनीन्द्रस्य यतो नामापि कीर्तितम् । पुनाति पुण्यकीर्तेर्नस्ततो ब्रूयाम किञ्चन ॥२॥ सामान्यार्थ-हे अर जिन ! यद्यपि आपके समस्त गुणोंका कथन करना अशक्य है, फिर भी आप पुण्यकीर्ति मुनीन्द्रका नामकीर्तन भी यतः हमें पवित्र करता है, इसलिए हम आपके गुणोंका कुछ कथन करते हैं। विशेषार्थ-श्री अर जिन गणधरादि मुनियोंके स्वामी होनेके कारण मुनीन्द्र हैं। वे पुण्यकीर्ति हैं। कीर्ति शब्द वाणी, ख्याति और स्तुति इन तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है । और पुण्य शब्द पवित्रके अर्थमें प्रयुक्त हुआ है । अतः जिनकी वाणी पवित्र है, ख्याति पवित्र है और पुण्योत्पादक होनेसे स्तुति पवित्र है उन्हें पुण्यकीर्ति कहते हैं । ऐसे श्री अर जिनके समस्त गुणोंका कथन तो अशक्य ही है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004001
Book TitleSwayambhustotra Tattvapradipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1993
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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