SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८ : योगसार शार्दूल युग्म झूथारामजि चौधरी गुणि वरी जिन्के सजे पुत्रह जो छाजूलालजि पोपल्या अरू तथा दोसो नथूलालजी डेडा का वसती सदासुख जिजो जो कासलीवाल है इन्की संगति पायकै गुण कला संयुक्त विद्या पढ़ी ॥ १७ ॥ व्याकर्णादिक समस्त शास्त्र जिनकै बोधावलो की जुहै, पन्नालाल जु चौधरी जयपुरै अभ्यास विद्याकरैं । छाजलालजि आदि तो समय पां पञ्चत्वकं प्राप्त हैं, पश्चाद्धर्म रुची भई जिन कृपा भई दुलीचंद के ॥१८॥ इन्की सर्व सहायसै वचनिका वाकी रहो ही किज्यौ सारी संस्कृत ग्रंथ की अरु तथा ज्यौ प्राकृतो मै रही केई ग्रंथनि की वणी वचनिका भाषामई देश की पन्नालाल जु चौधरी विरचि जो कारक दुलीचंद जी ॥ १६ ॥ संवत्सर विक्रम तणौं उगणीसै बत्तीस। सावण सुदि एकादशी ता दिन पूर्ण करीस ॥ २० ॥ __ इति संबंध संपूर्णम् दोहा जो प्रत देखी सो लिखी कर बहु चित्त विचार । भूल चूक जंह जानियौ लोजौ तहां सम्हार ॥१॥ भगन प्रष्टि ग्रीवा रुकट दिष्ट अधोमुख होइ। कष्ट कष्ट करि यौ लिखी जतन राखि जौ लोइ ॥२॥ संवतसर उंनइससै पुन इकतालीस जान । पौष सुदि जौ अस्टमी पूरन भई प्रमान ॥ ३॥ लिखतं नाथूराम डेवोडीया परवार की श्री बड़े मंदिर मिरजापुर के लान लिखी ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003999
Book TitleYogasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1987
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy