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प्रकाशकीय श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान के अन्तर्गत श्री गणेशप्रसाद वर्णी दि० जैन ग्रन्थमाला द्वारा इतः पूर्व तीस ग्रन्थों का प्रकाशन हो चुका है। जिनमें से कुछ ग्रन्थों के तो तीन-तीन, चार-चार संस्करण भी निकल चुके हैं; जो संस्थान के प्रकाशनों की लोकप्रियता के परिचायक हैं।
सम्प्रति इकतीस ग्रन्थ के रूप में योगीन्दुदेव विरचित योगसार को सुधी पाठकों के हाथों में सौंपते हुये हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है । प्रस्तुत संस्करण में पं० पन्नालाल चौधरी द्वारा योगसार पर लिखी गई देशभाषा वचनिका का प्रथम बार प्रकाशन हो रहा है, जो जैन विद्वानों द्वारा प्राचीन सिद्धान्त ग्रन्थों पर लिखी गई वचनिकाओं की शृंखला में महत्त्वपूर्ण कड़ी है ।
सम्पादक ने अपनी शोध-खोज पूर्ण विस्तृत प्रस्तावना में योगसार पर उपलब्ध बहुविध सामग्री का उपयोग करते हुये ग्रन्थ, ग्रन्थकार एवं वचनिकाकार से सम्बद्ध विविध पहलुओं पर तलस्पर्शी विवेचन प्रस्तुत किया है । जिससे इस दिशा में कार्य करने वाले विद्वानों को लाभ मिलेगा।
संस्थान के संस्थापक एवं बहुश्रुत विद्वान् श्रद्धेय पण्डित फूलचन्द्र जी सिद्धान्ताचार्य इस वृद्धावस्था में भी संस्थान की प्रगति के लिये निरन्तर चिन्तित रहते हैं और समय-समय पर हमें पत्राचार के माध्यम से सुझाव एवं निर्देश देते रहते हैं। साथ ही आर्थिक सहायता भिजवाने में भी संस्थान का पूरा सहयोग करते रहते हैं। अभी कुछ महीनों पूर्व उन्होंने दिगम्बर जैन स्वाध्याय मण्डल कानपुर से अठारह हजार रुपये की एकमुश्त राशि भिजवाकर संस्थान को आर्थिक सम्बल प्रदान किया है । अतः हम श्रद्धेय पूज्य पण्डित जी के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करते हुये उनके दीर्घायुष्य की मंगल-कामना करते हैं।
समाज के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् एवं ग्रन्थमाला सम्पादक प्रो० डॉ० राजाराम जैन ( आरा ) एवं प्रो० उदयचन्द्र जैन (वाराणसी) का प्रकाशन सम्बन्धी कार्यों में हमें निरन्तर सहयोग प्राप्त है। साथ ही उन्होंने महत्त्वपूर्ण सम्पादकीय लिखने की कृपा की है। अतः उक्त ग्रन्थमाला-सम्पादकों के हम हृदय से आभारी हैं। ___ संस्थान के प्रबन्धक डॉ. अशोककुमार जैन सम्प्रति अमेरिका प्रवास में रहते हुये भी संस्थान के बहुमुखी विकास में रुचि लेते रहते हैं; अत: वे धन्यवादाह हैं।
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