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मोक्षमार्ग
३२. मोक्षलिप्सा मोक्ष की साधक नहीं किन्तु लिप्सा की निवृत्ति ही मोक्ष की साधक है।
३३. शुभोपयोग के त्यागने से शुद्धोपयोग नहीं होता। किन्तु शुभोपयोग में जो मोक्षमार्ग की कल्पना कर रखी है उसके त्याग और राग-द्वेष की निवृत्ति से शुद्धोपयोग होता है। यही परिणाम मोक्षमार्ग का साधक है।। ____३४. जिसका आचरण आगमविरुद्ध है वह बाह्य में कितना ही कठिन तपश्चरण क्यों न करे मोक्षमार्ग का साधक नहीं हो सकता।
३५. समताभाव ही मोक्षाभिलाषी जीवों का मुख्य कर्तव्य है और सब शिष्टाचार है।
३६. वास्तव में रत्नत्रय (सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र) ही मोक्ष का एक मार्ग है ।
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