________________
वर्णी-वाणी
१४. व्याख्यान देना सरल है किन्तु इस पर अमल करना महान् कठिन है।
१५. जिस कार्य से स्वयं की आत्मा दुखी हो उसे पर के प्रति करना उचित नहीं ।
१६. वरदान वहाँ माँगा जाता है जहाँ मिलने की सम्भावना हो।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org