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विद्यार्थियों को शुभ सन्देश
१. विद्यार्थी जीवन की सार्थकता इसी में है कि विद्यार्थी अपनी शक्ति का सदुपयोग करें। छात्रों का जीवन तभी सार्थक हो सकता है जब वे अपने जीवन की रक्षा और अपने बहुमूल्य समय का सदुपयोग करें। बुद्धि का सदुपयोग ही उसका सच्चा विकास है। अन्यथा जिससे बाल्यकालमें ऐसी आशा थी कि यह यौवनावस्था में संसार में ऐसा प्रसिद्ध व्यक्ति होगा कि संसार का कल्याण करेगा, वह अपना ही कल्याण न कर सका! केवल गल्पवाद के रसिक होने से छात्र जीवन की सार्थकता नहीं है यह तो उसका अपव्यय है। ___२. विद्यार्थी को सबसे पहिले शिक्षाका महत्त्व समझना चाहिये जिसके लिये वह घर द्वार छोड़कर यहां वहां दौड़ा दौड़ा फिरता है । शिक्षा के महत्त्व के संबंध में केवल इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि शिक्षा से इस लोक की तो कथा ही छोड़ो पर लोक में भी सुख मिलता है। शिक्षा का स्वरूप ही प्राणियों को सुख देना है क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा अमोघ मन्त्र है जो दुःखातुर संसार को सच्चा सुख प्रदान कर सकता है। ___३. जितने संस्कृत के विद्वान् हैं वे तो अपने बालकों को अर्थकरी विद्या (अँग्रेजी ) पढ़ाने में लगा देते हैं ! जो बालक
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