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वर्णी-वाणी
इसलिये यदि सद्गति और शास्वत सुख की अभिलाषा है तो स्त्री पुत्रादि कुटुम्बियों से, शरीर धनधान्यादि परपदार्थों से मोह एवं आत्मीयता को छोड़ अपनी अनन्त शक्ति पर विश्वास करो।
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