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- प्रत्येक समाज में दान करने की प्रथा है किन्तु दान क्या वस्तु है ? उसके पात्र, अपात्र या दातार कौन हैं ? उसकी बिधि और समय क्या है ? तथा किस दान की क्या उपयोगिता
और क्या फल है आदि बातोंपर गम्भीर दृष्टि से विचार विमर्श करने वाले लोग बहुत ही कम हैं। जब तक पूर्ण रीति से विचार कर दान न दिया जायगा उसका कोई उपयोग नहीं । दान का लक्षण ___ प्राणी की आवश्यकता को शास्त्रोक्त मार्ग, लौकिक सद् व्यवहार और न्याय नीति के अनुसार पूर्ण करना दान है। दान की आवश्यकता
द्रव्यदृष्टिसे जब हम अन्तःकरणमें परामर्श करते हैं तब यही प्रतीत होता है कि सब जीव समान हैं । यद्यपि इस विचारसे तो दानकी आवश्यकता नहीं, किन्तु पर्यायदृष्टिसे सभी जीव भिन्न-भिन्न पर्यायोंमें स्थित हैं। कितने ही जीव तो कर्मकलङ्कउन्मुक्त हो अनन्तसुखके पात्र हो चुके हैं और जो संसारी हैं उनमें भी कितने तो सुखी देखे जाते है और कितने ही दुखी । बहुतसे अनेक विद्याके पारगामी विद्वाम् हैं और बहुतसे नितान्त
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