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उदासीनता
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अनात्मोय भावोंसे अपनेको जुदा अनुभव करना ही उदा
सीनता है ।
१०. उदासीन वे हैं जो सब कुछ करते हुए भी उसमें लिप्त नहीं होते ।
११. आहार तो मुनि भी लेते हैं । पर उसके मिलने की अपेक्षा न मिलने में वे अधिक आनन्द मानते हैं । जिस महामाके यह वृत्ति जग गई वही उदासीन है ।
१२. अभिलाषा मात्र हेय है । जिसकी मोक्षके प्रति भी अभिलाषा बनी हुई है वह उदासीन नहीं हो सकता ।
१३. चाहे पूजा करो चाहे जप, तप संयम करो पर एक बात ध्यान रखो कि संसार की कोई भी वस्तु तुम्हें लुभा न सके ।
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