________________
वर्णी-वाणी .
का प्रयत्न करो जो इतर धर्मावलम्बियों के हृदय में स्वयमेव समा जावे, इसी को निश्चय प्रभावना कहते हैं । अथवा
१-ऐसा दान करो जिससे साधारण लोगों का भी उपकार हो। ____२-ऐसे विद्यालय खोलो जिनमें यथाशक्ति सभी को ज्ञान लाभ हो।
३-ऐसे औषधालय खोलो जिनमें शुद्ध औषधि से सभी लाभ ले सकें।
४-ऐसे भोजनालय खोलो जिनमें शुद्ध भोजन का प्रबन्ध हो, अनाथों को भी भोजन मिले ।
५-अभयदानादि देकर प्राणियों को निर्भय बनाओ।
६-ऐसा तप करो जिसे देखकर कट्टर से कट्टर विरोधियों की तप में श्रद्धा हो जावे ।
७-अज्ञान रूपी अन्धकार से जगत आच्छन्न है, उसे यथाशक्ति दूर कर धर्म के माहात्म्य का प्रकाश करना, इसी का नाम सच्ची (निश्चय ) प्रभावना है। वर्तमान में इसी तरह की प्रभावना आवश्यक है।
८-पुष्कल द्रव्य को व्यय कर गजरथ चलाना, प्रीतिभोज में पचासों हजार मनुष्यों को भोजन देना, और सङ्गीत मण्डली के द्वारा गान कराकर सहस्रों के मन में धर्म की प्राचीनता के साथ साथ वास्तव कल्याण का मार्ग भर देना यह तो प्राचीन समय की प्रभावना थी परन्तु इस समय इस तरह की प्रभावना की आवश्यकता है
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org