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प्रकाशकीय
प्रस्तुत पुस्तककी प्रथमावृत्ति वीरनिर्वाण संवत् २४७६ में महावीर जयन्ती के अवसर पर प्रकाशित हुई थी, जिसे इक्कीस वर्ष हो रहे हैं । आज उसीकी यह द्वितीयावृत्ति प्रकट हो रही है । अरसे से इसकी पाठक माँग कर रहे थे । आशा है इसके पुनः प्रकाशनसे उनकी माँग पूरी हो सकेगी ।
इसके लेखक पण्डित उदयचन्द्रजी जैन, प्राध्यापक बौद्ध दर्शन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय हैं । इसे उन्होंने बड़े श्रम और विद्वत्ताके साथ लिखा है । ग्रन्थमालाकी ओरसे इसके लिए उन्हें धन्यवाद है । निश्चय हो इस पुस्तकसे जैन दर्शनके अनेकान्त और स्याद्वाद के विषय में पाठकों को सही जानकारी प्राप्त होगी ।
डा० नेमिचन्द्र शास्त्री संयुक्त मंत्री
डा० दरबारीलाल कोठिया मंत्री
श्री गणेशप्रसाद वर्णी ग्रन्थमाला
१११२८, डुमरांव कॉलोनी, अस्सो, वाराणसी
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