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जिनके हिरदै प्रभुनाम नहीं तिन, नर अवतार लिया न लिया ॥ टेक ॥ दान बिना घट बासकै लोभ मलीन धिया' न धिया । जिनके ॥ १ ॥ मदिरापान कियो घर अन्तर, जल मल सोधि पिया न पिया । आन प्रान के मांस भखेरे तैं करुना भाव हिया न हिया | जिनके ॥ २ ॥ रूपवान गुणखान वानिशुभ, शील विहीन तिया न तिया 1 कीरतवंत मृतक जीवत हैं, अपजसवंत जिया न जिया || जिनके ॥ ३ ॥ धाम मांहि कछु दाम न आये, बहु व्योपार किया न किया । 'द्यानत' एक विवेक किये विन, दान अनेक दिया न दिया । जिनके ॥ ४ ॥ (६१)
टेक ॥
प्रभु श्रीपास सहाय ॥
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हमको जाके दरसन देखत जबही, पातक जाय पलाय' ॥ हमको. ॥ १ ॥ जाको इंद फनिंद चक्रधर, वंदै सीस नवाय 1 सोई स्वामी अंतरजामी, भव्यनिको सुखदाय ॥ हमको. ॥ २ ॥ जाके चार घातिया बीते, दोष जुगए विलाय ११ सहित अनन्त चतुष्टय साहब, महिमा कही न जाय ॥ हमको. ॥ ३ ॥ ताकी या बड़ो मिल्यो है हमको, गहि रहिवे मन लाय । “द्यानत” औसर१२ बीत जायगो, फेर न कछु उपाय | हमको. ॥ ४ ॥
(६२)
ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी नेमिजी ! तुम ही हो ज्ञानी ॥ टेक ॥ तुम्हीं देव गुरु तुम्हीं हमारे, सकल दरब१३ जानी ॥ तुम समान कोउ देव न देख्या, तीन भवन १४
ज्ञानी ॥ १ ॥
छानी ।
आप तेरे भव जीवनि तारे ममता नहि ५
ज्ञानी ॥ २ ॥
कामी
मानी ।
आनी
कै १६
और देव देव सब रागी द्वेषी तुम हो बीतराग अकषायी, तजि यह संसार दुःख ज्वाला तजि भये 'द्यानत' दास निकास १७ जगत तैं, हम गरीब प्रानी ॥ ज्ञानी ॥ ४ ॥
राजुल
रानी ॥
मुकत
॥
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ज्ञानी ॥ ३ ॥
थानी ।
१. वृद्धि २. अन्य प्राणी ३. खाने से ४. ह्रदय ५. स्त्री ६. कीर्तिवान ७. अपयश वाले ८. भाग जाना ९. सिर १०. झुकाकर ११. खो गये १२. अवसर १३. द्रव्य १४. तीन लोक छान लिया १५. ममता नहीं की १६. अथवा १७. निकालकर ।
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